Friday, January 9, 2015

महामना "भारत रत्न" के स्थापित कैम्पस मे संचालित अस्पताल की कहानी - मछली"काँटा" और BHU में तीन एक्स-रे।

मछली"काँटा" और बीएचयू में तीन एक्स-रे।
कल गज़ब हो गया।उसके बाद अजब की कहानी।12 बजे के आस पास गला मे मछली के काँटा फंस गया।गोया पहले राजकीय अस्पताल गया।वहा डाक्टर साहब निराकरण नहीं कर दुसरे राजकीय में जाने का एडवाइस पर्चा पर दिए।उसके बाद बिना हीले डूले मुख से पूर्ण विश्वास के साथ विश्व प्रसिद्ध बीएचयू स्थित अस्पताल जाने की सलाह डॉक्टर
साहब ने डे डाला।अथाह विश्वास और आस्था के साथ वहा रात में ही पहुँचा।सब सही, डाक्टर साहब की लिखी पर्चा से गला में फंसा काँटा के लिए सीना से लेकर गला तक तीन एक्स-रे करवा लिया गया और पाकेट ढीली।तब तक 3 बज चुके थे।जब समय निराकरण करने को आयी तो डाक्टर द्वारा सहायक को फोन पर 6 बजे सुबह आने को कह कर मरीज को समझाने की सलाह दी गयी।अब मरता क्या करता...आप बताओ। सहायक की रवैया"तुम-ताम"का सम्बोधन तथा जबरदस्ती दबंगई से समझाने की असंतोषजनक व्यवहार मरीज के साथ किया जाने लगा।मरीज चकराया हुआ बिन पर्चा जाने लगा।बुला कर साथी को पर्चा दिया।वहा खड़े अन्य मरीज के साथियो ने भी मरीज को ही रुक जाने का ही सलाह दिया।वाह बीएचयू,जहा से पढ़ाई कर और कभी भी जाने पर गर्व करने की इच्छा को ही कुचल डाला।सुनते थे औरो से तुमने प्रत्यक्ष अनुभव भी करा दिया.....धन्य हो।