Thursday, November 17, 2016

Thursday, August 27, 2015

सामाजिक बुराइयो को कम करने में शहरीकरण भी एक मुख्य वजह हो सकता है।

सामाजिक बुराइयो को कम करने में शहरीकरण भी एक मुख्य वजह हो सकता है। 
जिसका सबसे त्वरित परिणाम अन्य तरीको से ज्यादा है। 
गाँव की गवई राजनीति व गाँव में रहकर नहीं किया जा सकता। 
खासकर उत्तर प्रदेश व बिहार जैसे समाज में। यह हम सोचते है। अनुभव और दूरदृष्टि का आंकलन है।

Friday, August 14, 2015

स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाए ! कर्मो का पाप समझू या अधिकारो का शोषण या भाग्य विधाताओ का पोषण...

स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाए !
18-25 आयु वर्ग के लगभग 37% लोंग 15 अगस्त और 26 जनवरी के सन्दर्भ मे अनभिज्ञता जताये !
हमारा देश सब अशाध्यो के साथ भी महान है क्योकि जहा कोस कोस पर पानी और ...कोस पर वाणी बदलता हो, जहा का समाज दुनिया के सभी विचारो को समावेश किए चल रहा हो. जहा तीन रंगो के साथ चक्र है, जो देश 20% उच्च मध्यवर्गीय समाज के अकंक्षाओ को पूरा करने मे विषमताओ के साथ निर्वाहन कर रहा हो, ऎसी बात और कहा...!
दूसरी ओर आज भी टकटकी लगाये कर्तव्यनिष्ठा के लिए तत्पर अधिसंख्य  जनता खुद के अधिकारो से वंचित और अनभिज्ञ है, उन्हे इस ओर जगरूक करना वर्तमान मे और भी जरूरी है, क्योकि आज स्वतंत्रता दिवस है, इसलिए जगरूक है हम तो अपना कर्तव्य केवल लिखकर या बोल कर पूर्ण न समझे, उनके लिए भी तैयार करे जिससे कर्तव्य और जिम्मेदारी निभाने लगे, लायक तो हम भी है ही...
जय हिन्द - जय भारत !
पर मित्रो आज कल वाराणसी मे बिजली कटौती और असहनीय गर्मी से त्रस्त हू, रात के सोने के समय सारणी को निभाना दुश्वार हो गया है. कर्मो का पाप समझू या अधिकारो का शोषण या भाग्य विधाताओ का पोषण...महात्मा गान्धी की जय ! बाबा साहब अम्बेडकर की जय ! शहीदे आज़म भगत सिह जी और नेता जी अमर रहे ...

Friday, January 9, 2015

महामना "भारत रत्न" के स्थापित कैम्पस मे संचालित अस्पताल की कहानी - मछली"काँटा" और BHU में तीन एक्स-रे।

मछली"काँटा" और बीएचयू में तीन एक्स-रे।
कल गज़ब हो गया।उसके बाद अजब की कहानी।12 बजे के आस पास गला मे मछली के काँटा फंस गया।गोया पहले राजकीय अस्पताल गया।वहा डाक्टर साहब निराकरण नहीं कर दुसरे राजकीय में जाने का एडवाइस पर्चा पर दिए।उसके बाद बिना हीले डूले मुख से पूर्ण विश्वास के साथ विश्व प्रसिद्ध बीएचयू स्थित अस्पताल जाने की सलाह डॉक्टर
साहब ने डे डाला।अथाह विश्वास और आस्था के साथ वहा रात में ही पहुँचा।सब सही, डाक्टर साहब की लिखी पर्चा से गला में फंसा काँटा के लिए सीना से लेकर गला तक तीन एक्स-रे करवा लिया गया और पाकेट ढीली।तब तक 3 बज चुके थे।जब समय निराकरण करने को आयी तो डाक्टर द्वारा सहायक को फोन पर 6 बजे सुबह आने को कह कर मरीज को समझाने की सलाह दी गयी।अब मरता क्या करता...आप बताओ। सहायक की रवैया"तुम-ताम"का सम्बोधन तथा जबरदस्ती दबंगई से समझाने की असंतोषजनक व्यवहार मरीज के साथ किया जाने लगा।मरीज चकराया हुआ बिन पर्चा जाने लगा।बुला कर साथी को पर्चा दिया।वहा खड़े अन्य मरीज के साथियो ने भी मरीज को ही रुक जाने का ही सलाह दिया।वाह बीएचयू,जहा से पढ़ाई कर और कभी भी जाने पर गर्व करने की इच्छा को ही कुचल डाला।सुनते थे औरो से तुमने प्रत्यक्ष अनुभव भी करा दिया.....धन्य हो।

Friday, August 29, 2014

हम उस प्रभु के सेवक है जिसे आज के विद्वान लोंगा मनुष्य कहते है।

हम उस प्रभु के सेवक है जिसे आज के विद्वान लोंगा मनुष्य कहते है।

अच्चे दिन के चक्कर मे “मानसून कि ओर ध्यान ही नही जा पा रहा है”

अच्चे दिन के चक्कर मे “मानसून कि ओर ध्यान ही नही जा पा रहा है” 
जो एकटक लगाए हर बार कि तरह बैठे है, उन्हे दिखाया ही नही जाता 
“उनका ध्यान केवल और बस केवल मानसून पर ही है” – सालभर कि कमाई हेतु मेहनत भी नही कर पा रहे है !! 
वाह रे आईना वाह से दर्पण .....सुन रहा है न तु, सुन रहा हु मै..बस....

शूर्पनेखा जी, सीता जी, द्रोपदी जी

महानुभाओ निम्नांकित् को मान लिया जाय, सही है या गलत...! या इस पर कोई विद्वान प्रकाश डाल भ्रम को दूर कर पूर्वाग्रहो से पीडितो को थोडी बुद्धी देने की कृपा करेंगे! 
हमारे साथ कई होंगे जो अन्धेरे या उजालो के सन्दर्भ मे आंखे खोलेंगे....कृपया....रास्ता दिखाये..
1) शूर्पनेखा जी - मैने उस आदमी को दिल दे बैठी, यही गुनाह के लिए कुरूप कर दी गयी ! तो उनके पिता श्री कि तीन पत्निया क्यो.....?
2) सीता जी - बडा कौन? वह मेरे हा के इंतजार मे जान गवा बैठा, दुसरा के लिए मुझे अग्निपरीक्षा देनी पडी !
3) द्रोपदी जी - मुझे भी पवित्रता की मूर्ति कहा गया ! सभी को एक जैसा सम्मान और प्यार के लिए बांट दी गयी.....
शिक्षक, अभिवावक और माता - पिता चाहे तो समाज मे व्याप्त हर तरह के भ्रष्टाचार और अराजकता को दूर कर सकते है तथा समाज मे करूणा, प्रेम और जिम्मेदारी एवम उचित निर्णय को स्थापित कर सकते है, अन्यथा और कोई मकेनिज्म का ईजाद न हुआ और न होंगा! जो किसी मकेनिज्म कि आशा करते है या बन्धवाते है वे स्वार्थी है और कुछ नही - यह आधार बनाने के लिए ...उसके बाद तो व्यवस्था है पकड बनाये रखने के लिए!