Tuesday, July 24, 2012

Fwd: Fw: RE: Obama must take human rights in the Arms Trade Treaty forward


-- Original Message --

From: "Canberra, USA Embassy" CanberraUSAEmbassy@state.gov
To: upendra_amit2005@rediffmail.com
Subject: RE: Obama must take human rights in the Arms Trade Treaty forward

---------- Forwarded message ----------
From: "Canberra, USA Embassy" <CanberraUSAEmbassy@state.gov>
To: <upendra_amit2005@rediffmail.com>
Cc:
Date:
Subject: RE: Obama must take human rights in the Arms Trade Treaty forward
Thank you for writing to express your interest in the Arms Trade Treaty negotiations underway in July 2012 in New York.
The United States is committed to actively pursuing a strong and robust Arms Trade Treaty.  Around the world, we see instability and conflict fueled and prolonged by illicit flows of guns, planes, and other conventional weapons.  An Arms Trade Treaty with the highest possible legally binding standards for the international transfer of conventional weapons could help prevent the acquisition of weapons by terrorists, criminals, and those who violate human rights.
In addition to our support for an Arms Trade Treaty, the United States directly assists many other countries to raise their export control standards and stop the transfer or transshipment of weapons to rogue states, terrorist groups, and groups seeking to unsettle regions.
For the last year, the United States has solicited proposals from our international partners about how ammunition could be included in an Arms Trade Treaty in a practical and effective way.  Although we do not believe that including ammunition in the scope of an Arms Trade Treaty will effectively further the goals and objectives of the treaty, we will continue to listen to any proposals for including ammunition.
Again, thank you for your interest in this important issue.  For more information, please see U.S. Support of the Arms Trade Treaty.
Sincerely,
US Embassy Canberra


--
Upendra Kumar
Manager Model Block,
PVCHR/JMN,
Sa 4/2A, Daulatpur, Varanasi,
U.P.-India-221002.
Mob:- +91-9335648060, +91-9935599338
Email:- pvchr.adv@gmail.com,
Upendramsw@gmail.com,Upendramsw@yahoo.co.in,upendra_amit2005@rediffmail.com

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Wednesday, July 18, 2012

Fwd: उत्तर प्रदेश के सीतपुर जनपद मे खाकी वर्दी पहने डीएसपी ने अपने जूते से हटाया अज्ञात युवक के शव का कपडा व मृतक के लाश को भी पलट कर देखने की कोशिश के सम्बन्ध मे !



---------- Forwarded message ----------
From: Detention Watch <pvchr.adv@gmail.com>
Date: 2012/7/18
Subject: उत्तर प्रदेश के सीतपुर जनपद मे खाकी वर्दी पहने डीएसपी ने अपने जूते से हटाया अज्ञात युवक के शव का कपडा व मृतक के लाश को भी पलट कर देखने की कोशिश के सम्बन्ध मे !
To: cmup@nic.in, cmup@up.nic.in, csup@up.nic.in, yadavakhilesh@gmail.com
Cc: lenin@pvchr.asia, Lenin Raghuvanshi <pvchr.india@gmail.com>



                                                                                                                                                                     दिनांक - 18 जुलाई, 2012.
सेवा मे,
          श्रीमान मुख्यमंत्री जी, 
          उत्तर प्रदेश सरकार - लखनऊ !
 
विषय -  उत्तर प्रदेश के सीतपुर जनपद मे खाकी वर्दी पहने डीएसपी ने अपने जूते से हटाया अज्ञात युवक के शव का कपडा व मृतक के लाश को भी पलट कर देखने की कोशिश के सम्बन्ध मे !
 
महोदय,
         हम आपका ध्यान विषयक के सन्दर्भ मे आकृष्ट कराना चन्हुंगा, जहा पुलिसिया असंवेदनशीलता के कारण मानवता शर्मसार हो गयी ! मामला यह है की सम्बन्धित जनपद के रेउसा इलाके के बसंतापुर गांव मे पैतीस वर्षीय एक अज्ञात युवक की लाश मिली, जिसके शरीर पर कई जगह धारदार हथियार से काटे जाने के निशान थे और कपडे कीचड. से सने थे ! वहा के ग्रामीणो ने इसकी सूचना पुलिस को दिये, जिस पर मौका - मुआयना करने डिप्टी एसपी अपने मातहत पुलिसकर्मियो के साथ पहुंचे ! 
 
        खाकी वर्दी मे मौजूद डीसपी जयप्रकाश सिह यादव ने दम तोड. चुके आदमी की शिनाख्त के लिए हाथ लगाने की भी जहमत नही उठाई और उपस्थित स्थानीय लोंगो की मौजूदगी मे जूते से ही मृतक के शरीर पर पडे. कपडे. को हटाये तथा लाश को पलट कर देखने की भी कोशिश की गयी !  इस पुलिसिया असंवेदनशीलता का गवाह एक बार फिर उत्तर प्रदेश बना !
 
        इस शर्मनाक वरदात को अंजाम देने वाले पुलिस कर्मी पूरे घटनाक्रम को ही झुठला रहे है, जबकि स्थानीय अखबार मे छपी फोटो अमानवीय हरकत व घिनौनी पडताल का साफ - साफ तस्वीर पेश कर रहा है, जिसे झुठलाया नही जा सकता !  
 
 
         अत: आपसे से निवेदन है की मामले मे त्वरित न्यायोचित कार्यवाही करते हुए मानव गरिमा और अस्मिता को सुनिश्चित कराने के लिए सम्भावित दोषी पुलिस कर्मी पर दण्डात्मक कार्यवाही करे व मृतक के हत्या मे उच्चस्तरीय जांच कराते हुए परिजनो को मुआवज़ा प्रदान कराने की कृपा करे !
 
 
भवदीय 
 
 
(डा0 लेनिन)  
महासचिव
मानवाधिकार जन निगरानी समिति,
पता - सा 4/2ए., दौलतपुर, वाराणसी - 221002.
उत्तर प्रदेश - भारत !
 
मो0 - +91-9935599333.
ई-मेल - lenin@pvchr.asia
 



--
Upendra Kumar
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Fwd: उत्तर प्रदेश के चन्दौली जनपद मे सार्वजनिक जमीन में स्थित शिव मन्दिर मे जलाभिषेक से रोके गये दलित और विरोध करने पर पुलिस ने की पिटाई के सन्दर्भ मे !



---------- Forwarded message ----------
From: Detention Watch <pvchr.adv@gmail.com>
Date: 2012/7/18
Subject: उत्तर प्रदेश के चन्दौली जनपद मे सार्वजनिक जमीन में स्थित शिव मन्दिर मे जलाभिषेक से रोके गये दलित और विरोध करने पर पुलिस ने की पिटाई के सन्दर्भ मे !
To: chairman-ncsc@nic.in
Cc: lenin@pvchr.asia, Lenin Raghuvanshi <pvchr.india@gmail.com>



                                                                                                                                                                      दिनांक - 18 जुलाई, 2012.
सेवा मे,
          श्रीमान अध्यक्ष महोदय,
          राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग,
          नई दिल्ली - भारत !
 
विषय - उत्तर प्रदेश के चन्दौली जनपद मे सार्वजनिक जमीन में स्थित शिव मन्दिर मे जलाभिषेक से रोके गये दलित और विरोध करने पर पुलिस ने की पिटाई के सन्दर्भ मे !
 
महोदय,
         हम आपका ध्यान विषयक के सन्दर्भ मे आकृष्ट कराना चन्हुंगा, जहा सैयद्राज़ा थाना क्षेत्र के काजीपुर गांव में दलितों को शिव मंदिर में सोमवार को जाति सूचक शब्द इस्तेमाल कर जलाभिषेक से रोक दिया गया। यही नहीं निजी मंदिर बताकर धकियाते हुए उन्हें बाहर कर दिया गया।  मौके पर पहुंची पुलिस ने लाठियां फटकार कर लोगों को हटाने का प्रयास किया। इस दौरान पिटायी से बचने के लिए दो लोग कैलाश राम व शंकर राम नहर में कूद गये। नहर से निकालकर पुलिस ने उनकी जमकर पिटायी की और जीप में बैठाकर थाने भेज दिया।
      
        विदित हो की पिछले सोमवार को सभी जाति के लोगों ने यहां पूजा अर्चना की थी। लेकिन सोमवार को प्रात: 8 बजे से अनुसूचित जाति के लोगों को मना कर दिया गया और सार्वजनिक मंदिर में ताला लगाकर बाहर से पूजन अर्चन करने को कह दिया गया।  जबकि राजस्व विभाग की तरफ से लेखपाल शंकर ने मानचित्र देखकर बताया कि शिव मंदिर सार्वजनिक जमीन में स्थित है।
 
 
         अत: आपसे से निवेदन है की मामले मे त्वरित न्यायोचित कार्यवाही करते हुए दलितो के गरिमा और अस्मिता को सुनिश्चित कराने के साथ सम्भावित दोषियो एवम पुलिस कर्मियो पर दण्डात्मक कार्यवाही करने की कृपा करे !
 
 
भवदीय 
 
 
(डा0 लेनिन)  
महासचिव
मानवाधिकार जन निगरानी समिति,
पता - सा 4/2ए., दौलतपुर, वाराणसी - 221002.
उत्तर प्रदेश - भारत !
 
मो0 - +91-9935599333.
ई-मेल - lenin@pvchr.asia
 

विरोध करने पर पुलिस ने की पिटाई

शर्मनाक काजीपुर गांव में सार्वजनिक जमीन पर बना है मंदिर, निजी मंदिर बताते हुए दलितों के साथ की गई अभद्रता

सैयदराजा (एसएनबी)। स्थानीय थाना क्षेत्र के काजीपुर गांव में दलितों को शिव मंदिर में सोमवार को जाति सूचक शब्द इस्तेमाल कर जलाभिषेक से रोक दिया गया। यही नहीं निजी मंदिर बताकर धकियाते हुए उन्हें बाहर कर दिया गया। यह सूचना गांव में आग की तरह फैल गयी तो लोगों में जबरदस्त आक्रोश व्याप्त हो गया। मंदिर पर लोग इकठ्ठे हो गये और वाद-विवाद होने लगा। सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने लाठियां फटकार कर लोगों को हटाने का प्रयास किया। इस दौरान पिटायी से बचने के लिए दो लोग नहर में कूद गये। नहर से निकालकर पुलिस ने उनकी जमकर पिटायी की और जीप में बैठाकर थाने भेज दिया। मामला बिगड़ता देख इसकी सूचना आला अधिकारियों को दी गयी।

 

सूचना पर एएसपी ऑपरेशन विजय भूषण, सीओ चकिया यशपाल सिंह, एसडीएम स्वामीनाथ पाठक, राजस्व निरीक्षक शिव शंकर पाठक, चन्दौली कोतवाल आरपी यादव मौके पर पहुंच गये। बताया जाता है कि श्रावण मास के द्वितीय सोमवार को जहां भक्तों ने शिवालयों व मंदिरों में जाकर जलाभिषेक कर मत्था टेका वहीं थाना क्षेत्र के काजीपुर गांव में 50 वर्ष पुराने शिव मंदिर को निजी मंदिर बताकर अनुसूचित जाति के लोगों को दर्शन पूजन करने से मना करने पर धर्म व आस्था के नाम पर बवाल हो गया और देखते ही देखते गांव में एक जाति विशेष के प्रति आक्रोश पैदा हो गया।

 

पिछले सोमवार को सभी जाति के लोगों ने यहां पूजा अर्चना की थी। लेकिन सोमवार को प्रात: 8 बजे से अनुसूचित जाति के लोगों को मना कर दिया गया और सार्वजनिक मंदिर में ताला लगाकर बाहर से पूजन अर्चन करने को कह दिया गया। मंदिर पर तैनात पुलिसकर्मियों ने व्याप्त तनाव से थानाध्यक्ष को अवगत कराया और फोर्स की मांग की। मौके पर पहुंची फोर्स ने लोगों को हटाने के लिए लाठियां फटकारनी शुरू कर दी। इससे डरकर कैलाश राम व शंकर राम पास ही स्थित नहर में कूद पड़े। लोगों का कहना है कि नहर से निकालकर उन दोनों की जमकर पिटाई की गई और हिरासत में थाने भिजवा दिया गया।

 

निजी मंदिर बताने वाली भोला यादव की पत्नी आशा देवी का कहना है कि पिछले वर्ष अक्टूबर माह में नवरात्र को रामफल की पत्नी सुधा ने मंदिर में मुग्रे की बलि दी थी, इसलिए मैंने उन्हें यहां पूजा अर्चना से मना किया। वहीं रामफल की पत्नी सुधा ने बताया कि मैंने अपने घर में शीतला मां की स्थापना की है और इसी की सफलता की कामना लेकर शिव मंदिर गयी थी। मुग्रे की बलि देने का आरोप सरासर गलत है। सूचना पाकर एएसपी ऑपरेशन विजय भूषण, सीओ चकिया यशपाल सिंह, एसडीएम स्वामीनाथ पाठक, राजस्व निरीक्षक शिव शंकर पाठक, चन्दौली कोतवाल आरपी यादव मौके पर पहुंच गये। वहां ग्रामीणों से बातचीत की और थाना बुलाकर मामले को सुलह समझौते के तहत मामले को हल कराया गया। राजस्व विभाग की तरफ से लेखपाल शंकर ने मानचित्र देखकर बताया कि शिव मंदिर सार्वजनिक जमीन में स्थित है। थाना प्रांगण में सुलह समझौते के तहत दोनों पक्षों को समझा बुझाकर मामले को रफा दफा कर दिया गया और मंदिर की सुरक्षा के लिए चार पुलिस कर्मियों को तैनात कर दिया गया। तनाव देखते हुए पीएसी भी बुला ली गई है।

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Upendra Kumar
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Sa 4/2A, Daulatpur, Varanasi,
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Monday, July 9, 2012

Fwd: Girl made to drink urine for bedwetting in West Bengal school



---------- Forwarded message ----------
From: Detention Watch <pvchr.adv@gmail.com>
Date: 2012/7/9
Subject: Girl made to drink urine for bedwetting in West Bengal school
To: complaints.ncpcr@gmail.com, yogesh dube <dryogeshdube@gmail.com>, yogesh.dube@nic.in
Cc: lenin@pvchr.asia, Lenin Raghuvanshi <pvchr.india@gmail.com>


                                                                                                                                दिनांक - 09 जून, 2012.

सेवा में,                                                                                                             
      श्री योगेश दूबे,
      सदस्‍य,
      राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग,
      नई दिल्‍ली।

विषय - Girl made to drink urine for bedwetting in West Bengal school

महोदय,

          हम आपका ध्यान विषयक की ओर आकृष्ट कराना चन्हुंगा, मामले मे पाचवी कक्षा की छात्रा को जबरदस्ती अमानवीय कृत्य कराया गया है. जिससे बच्ची की हालत गम्भीर हो गयी है !

कृप्या  संलग्नक  देखे - http://in.video.yahoo.com/news-26036098/national-26073656/girl-made-to-drink-urine-for-bedwetting-in-west-bengal-school-29917151.html#crsl=%252Fnews-26036098%252Fnational-26073656%252Fwarden-who-made-girl-drink-urine-arrested-29922117.html

         विदित हो की इस तरह के मामले मे हिलाहवाली की जाती है और परिजनो पर दबाब बनाया जाता है !

          अत: आपसे अनुरोध है की मामले मे अपने स्तर से स्वत जांच कर न्यायोचित कदम उठाते हुए कठोर से कठोर कानूनी कार्यवाही करने की कृपा करे, जिससे बच्चो पर हो रहे अत्याचार को रोकने मे उदाहरण साबित हो !

भवदीय

(डा0 लेनिन)

 महासचिव
मानवाधिकार जन निगरानी समिति - वाराणसी,
सा 4/2ए., दौलतपुर, वाराणसी - 221002,
उत्तर प्रदेश - भारत !
 
मो0 - +91-9935599333.
ई - मेल - lenin@pvchr.asia
 
--
Upendra Kumar
Manager Model Block,
PVCHR/JMN,
Sa 4/2A, Daulatpur, Varanasi,
U.P.-India-221002.
Mob:- +91-9335648060, +91-9935599338
Email:- pvchr.adv@gmail.com,
Upendramsw@gmail.com,Upendramsw@yahoo.co.in,upendra_amit2005@rediffmail.com

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Friday, July 6, 2012

Fwd: छत्तीसगढ़ राज्य के बीजापुर के बासागुडा में 28 जून की रात सुरक्षा बलों दवारा निर्दोष ग्रामीण आदिवासियों के आठ बच्चो का नरसंहार करने व कई बच्चो को घायल होने के सन्दर्भ मे !



---------- Forwarded message ----------
From: Detention Watch <pvchr.adv@gmail.com>
Date: 2012/7/6
Subject: छत्तीसगढ़ राज्य के बीजापुर के बासागुडा में 28 जून की रात सुरक्षा बलों दवारा निर्दोष ग्रामीण आदिवासियों के आठ बच्चो का नरसंहार करने व कई बच्चो को घायल होने के सन्दर्भ मे !
To: complaints.ncpcr@gmail.com, yogesh.dube@nic.in, dryogeshdube@gmail.com
Cc: lenin@pvchr.asia, Lenin Raghuvanshi <pvchr.india@gmail.com>


                                                                                                                                दिनांक - 06 जून, 2012.

सेवा में,                                                                                                             
      श्री योगेश दूबे,
      सदस्‍य,
      राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग,
      नई दिल्‍ली।

विषय - छत्तीसगढ़  राज्य के बीजापुर के बासागुडा में 28 जून की रात सुरक्षा बलों दवारा निर्दोष ग्रामीण आदिवासियों के आठ बच्चो का नरसंहार करने व कई बच्चो को घायल होने के सन्दर्भ मे !

महोदय,

          हम आपका ध्यान विषयक की ओर आकृष्ट कराना चन्हुंगा, जहा केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल 19 ग्रामीणों में आठ नाबालिग बच्चे हैं जिनकी उम्र 13 साल से लेकर 16 साल के बीच है. घायलों में भी तीन नाबालिग बच्चे हैं.

         अधिकारी जिन्होंने इस अभियान का नेतृत्व किया था कहते हैं कि सुरक्षा बलों के जवानों पर अत्याधुनिक हथियारों से गोलियां चलाई गई थी, जवाबी कारावाई में सुरक्षाबलों नें भी गोलियां चलाई थी.मगर इस मामले का गंभीर पहलू यह है कि घटना स्थल से हथियार बरामद किए जाने का जो दावा सुरक्षा बल के अधिकारी कर रहे हैं उनमे से एक भी अत्याधुनिक हथियार नहीं है. 

         केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल ने जो घायल जवानों की मेडिकल रिपोर्ट उपलब्ध कराये है उसमे सिर्फ एक जवान हवालदार के.राजन के पैर में छर्रे के ज़ख्म की बात कही गई है, जबकि बाकी के पांच जवानों को अत्याधुनिक हत्यारों की गोलियों के जख्म हैं. यह वही हथियार हैं जिसका इस्तेमाल सुरक्षा बल के जवान ही करते हैं.       

जिन जवानों को अत्याधुनिक हथियारों की गोलियां लगी हैं उनमे कोबरा बटालियन के गयेंद्र सिंह, वहीदुल इस्लाम, अरुनव घोष, किशन कुमार और एसएस राणा शामिल हैं जिनका इलाज रायपुर के अस्पताल में चल रहा है.

          वहा की पीडितो का कहना है, "हम सब बीच मैदान में बैठे थे. चारों तरफ से गोलियां चल रहीं थी. वही गोलियां सुरक्षाबल के जवानों को आपस में लगी हैं. उनकी गोलीबारी में गाँव के बैल मरे, सूअर मरे. जो लोग भग रहे थे उनपर सुरक्षाबल के जवान ही गोलियां चला रहे थे. उन्हें खुद की गोलियां लगी हैं और वह कह रहे हैं माओवादियों नें गोलियां चलायीं हैं. बैठक में सिर्फ ग्रामीण थे."

         विदित हो की माओवादी के साथ मुठ्भेड के नाम पर इसी तरह की नरसंहार चलाया जाता है, और शासन तथा प्रशासन द्वारा माफी मांग कर और मामले मे हिला हवाली कर दबा दिया जाता है. यह मुठभेड़ नहीं 'नरसंहार' है.

संलग्नक - http://www.bbc.co.uk/hindi/mobile/india/2012/07/120705_chhattisgarh_naxal_tb.shtml?SThisFacebook

          अत: आपसे अनुरोध है की मामले मे न्यायिक जांच कराते हुए कानूनी कार्यवाही की जाए और पीडितो व परिजनो को सुरक्षा के साथ मुआवजा प्रदान कराने की कृपा करे !

भवदीय

(डा0 लेनिन)

 महासचिव
मानवाधिकार जन निगरानी समिति - वाराणसी,
सा 4/2ए., दौलतपुर, वाराणसी - 221002,
उत्तर प्रदेश - भारत !
 
मो0 - +91-9935599333.
ई - मेल - lenin@pvchr.asia
 


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Upendra Kumar
Manager Model Block,
PVCHR/JMN,
Sa 4/2A, Daulatpur, Varanasi,
U.P.-India-221002.
Mob:- +91-9335648060, +91-9935599338
Email:- pvchr.adv@gmail.com,
Upendramsw@gmail.com,Upendramsw@yahoo.co.in,upendra_amit2005@rediffmail.com

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Fwd: बिना पूर्व सूचना के ग्राम भरदुआ, नौगढ़, जनपद चन्दौली उत्तरप्रदेश में वनविभाग द्वारा 29 जून 2012 को आदिवासियों एवं दलितों की झोपडि़यों को बुलडोज़र द्वारा गिराए जाने से सैंकड़ों परिवार बारिश के मौसम में बेघर और उत्तर प्रदेश मे कई जनपदो मे अनुसूचित



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From: Detention Watch <pvchr.adv@gmail.com>
Date: 2012/7/6
Subject: बिना पूर्व सूचना के ग्राम भरदुआ, नौगढ़, जनपद चन्दौली उत्तरप्रदेश में वनविभाग द्वारा 29 जून 2012 को आदिवासियों एवं दलितों की झोपडि़यों को बुलडोज़र द्वारा गिराए जाने से सैंकड़ों परिवार बारिश के मौसम में बेघर और उत्तर प्रदेश मे कई जनपदो मे अनुसूचित जनजा
To: chairman-ncsc@nic.in
Cc: lenin@pvchr.asia, Lenin Raghuvanshi <pvchr.india@gmail.com>


                                                                                                                                 दिनांक - 06 जून, 2012.
सेवा मे,
          श्रीमान अध्यक्ष महोदय,
          राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग,
          नई दिल्ली - भारत !
 
विषय : - बिना पूर्व सूचना के ग्राम भरदुआ, नौगढ़, जनपद चन्दौली उत्तरप्रदेश में वनविभाग द्वारा 29 जून 2012 को आदिवासियों एवं दलितों की झोपडि़यों को बुलडोज़र द्वारा गिराए जाने से सैंकड़ों परिवार बारिश के मौसम में बेघर और उत्तर प्रदेश मे कई जनपदो मे अनुसूचित जनजाति के पहचान से महरूम होने पर संवैधानिक अधिकार की बहाली कराने के सन्दर्भ मे !
 
महोदय,
           हम आपका ध्यान विषयक के सन्दर्भ मे आकृष्ट कराना चन्हुंगा, जहा वनविभाग मय पुलिस फोर्स व कुछ बी0एस0एफ के जवानों के साथ बुलडोज़र लेकर भरदुआ गांव में पहुंचे और लगभग 50 झोपड़ीयों को बिना किसी नोटिस दिए ढहा दिया। यह सभी झोपड़ीयां गोंड़ आदिवासीयों, मुसहर जाति, दलित व अन्य ग़रीब समुदाय की थी।
वनविभाग द्वारा कहा जा रहा है " यह लोग अतिक्रमणकारी है जिसके लिए उन्हें जिलाधिकारी द्वारा र्निदेश दिए गए थे, इसलिए अतिक्रमण हटाया गया है। सम्बन्धित जनपद के जिलाधिकारी किसी भी आदेश - निर्देश को देने से इंकार किया है।
 
           विदित हो की यह कार्यवाही उन परिवारों पर की गई है जो कि प्रदेश में लागू वनाधिकार कानून - 2006 के अंतर्गत अपने अधिकारो को पाने के लिए हकदार है और यह परिवार 15 दिसम्बर 2006 के पूर्व से यहां बसे हुए हैं।
 
           पूर्व मे भी इन परिवारों को सन् 2003 में भी वनविभाग द्वारा इस भूमि से बेदखल किया गया था, इनकी फसलें उजाड़ दी गई थी और इन्हें अतिक्रमणकारी घोषित कर आदिवासीयों की ही भूमि पर वनविभाग द्वारा कब्ज़ा कर लिया गया था।
 
           वनविभाग द्वारा मनमानी कार्यवाही की जा रही है व यहां पर रहने वाले आदिवासीयों का उत्पीड़न किया जा रहा है, उनके घरों से उन्हें बेदखल किया जा रहा है, उनके उपर झूठे मुकदमें लादे जा रहे हैं व उन्हें जेल भेजा जा रहा है।  
 
           वनाधिकार कानून आदिवासी और दलित समुदायो के मानव गरिमा को बचाने व विस्थापन रोकने हेतु बनायी गयी, लेकिन चन्दौली जनपद मे वन विभाग द्वारा तभी से लगातार जमीन अधिग्रहण करने और वर्षो से उक्त जमीन पर रहते आ रहे गरीब लोंगो के साथ धोखा - धडी और उन्ही के समुदाय के लोंगो को पद और लालच दे कर विरोधी बनाने का कार्य वन विभाग द्वारा षड्यंत्रकारी रवैया रहा है, जैसा की पूर्व के काई मामलो मे कार्य करते हुए बाते सामने आयी है !
          वनाधिकार कानून आने के बाद उनका उक्त भूमि पर दावा और भी मजबूत हुआ, लेकिन चन्दौली जनपद के आदिवासीयों के साथ जनपद के बंटवारे के चलते एक बार फिर धोखाधड़ी हुई। सन् 2002 में सपा सरकार के ही दौरान प्रदेश के तेरह आदिवासी समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल किया गया था, उस समय चन्दौली जनपद वाराणसी में ही शामिल था। सन् 2004 में चन्दौली को पुन: एक अलग जनपद बनाया गया, अलग जनपद बनते ही चन्दौली जनपद में रहने वाले तमाम अनुसूचित जनजातियों को प्राप्त दर्जा भी उनसे छीन लिया गया। जबकि अगर वे वाराणसी में अनु0 जनजाति में शामिल थे तो राज्य सरकार द्वारा उन्हें वहीं दर्जा जनपद चन्दौली में दिया जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया ! जिसके कारण आज भी जनपद चन्दौली के निवासी अपनी पहचान से महरूम हैं। यह भी एक विडम्बना ही है कि इस जनपद के आदिवासीयों को एक सरकार ने अनु0 जनजाति का दर्जा और दूसरी सरकार ने इस दर्जे को छीन लिया। इस से ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण बात और क्या हो सकती है कि अभी तक यहां के आदिवासीयों को कोई भी सरकार उनके संवैधानिक अधिकार को बहाल नहीं कर पाई है।
सरकारों द्वारा यहां के आदिवासीयों की संवैधानिक अधिकारों की बहाली न करने का खामियाजा आज भी यहां के
 
आदिवासी चुका रहे हैं जिन्हें वनाधिकार कानून 2006 से वंचित किया जा रहा है । वहीं वनविभाग द्वारा इस स्थिति
 
 का फायदा उठा कर मनमानी कार्यवाही की जा रही है व यहां पर रहने वाले आदिवासीयों का उत्पीड़न किया जा रहा
 
 है, उनके घरों से उन्हें बेदखल किया जा रहा है, उनके उपर झूठे मुकदमें लादे जा रहे हैं व उन्हें जेल भेजा जा रहा है। 
         
           अनुभव यह भी रहा है की बरसात के मौसम मे ही वन विभाग द्वारा इस प्रकार की बर्बर कार्यवाही की जाती रही है, क्योकि पहला - जिससे वहा रह रहे गरीब लोंग असहाय हो भयंकर सबक ले और उनको इस तरह से तोड दिया जाय की दुबारा खडा न हो सके, जो मानव गरिमा के साथ घोर अमानवीय कृत्य है. दुसरा - बरसात मे गिराए व आग लगाये गये झोपडियो का अवशेष भी नही मिले, लोंग अपनी सर को छुपाने मे ही समय नष्ट कर देंगे. तिसरा - गरीबो को फर्जी मुकदमा मे फसाना भी इनका षडयंत्रकारी हथियार होता है.
 
           अत:  आपसे अनुरोध है की मामले मे त्वरित कार्यवाही करते हुए विस्थापन को रोकी जाए और जनपद मे अनुसूचित जनजाति समुदाय को संवैधानिक अधिकार की बहाली कराते हुए  वनाधिकार कानून को सख्ती से पालन का निर्देश दे तथा सैकडो पीडितो को सुरक्षा के साथ मुआवजा प्रदान कराने की कृपा करे !
 
 
भवदीय
 
(डा0 लेनिन)
महासचिव
मानवाधिकार जन निगरानी समिति - वाराणसी,
सा 4/2ए., दौलतपुर, वाराणसी - 221002.
उत्तर प्रदेश - भारत !
 
मो0 - +91-9935599333.
ई- मेल - lenin@pvchr.asia
 
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संलग्नक - ग्राम भरदुआ, नौगढ़, जनपद चन्दौली उत्तरप्रदेश में वनविभाग द्वारा 29 जून 2012 को आदिवासियों एवं दलितों की झोपडि़यों को बुलडोज़र द्वारा गिराए जाने से सैंकड़ों परिवार बारिश के मौसम में बेघर

चन्दौली 5 जुलाई: दिनांक 29 जून 2012 को जनपद चन्दौली के ग्राम भरदुआ तहसील चकिया में वनविभाग मय पुलिस फोर्स व कुछ बी0एस0एफ के जवानों के साथ बुलडोज़र लेकर इस गांव में पहुंचे और लगभग 50 झोपड़ीयों को बिना किसी नोटिस दिए ढहा दिया। यह सभी झोपड़ीयां गोंड़ आदिवासीयों, मुसहर जाति, दलित व अन्य ग़रीब समुदाय की थी। उनमें कुछ लोगों के नाम रामवृक्ष गोंड़, सीताराम पु़़़त्र रामेशर, बलीराम पुत्र सुकालु अहीर, सुखदेव पुत्र रामवृक्ष गोंड़, रामसूरत गोंड, कालीदास पुत्र मोतीलाल गोंड, मनोज पुत्र रामजीयावन गोंड, सुखराम पुत्र शिववरत गोंड, शिवकुमारी पत्नि रामदेव गोंड, माधो पुत्र टेगर मुसहर, विद्याप्रसाद पुत्र सुखई गडेरी, हीरालाल पुत्र गोवरधन मुसहर, बबुन्दर पुत्र मोती मुसहर, पुनवासी पत्नि टेगर मुसहर, कलावती पत्नि विक्रम मुसहर, राधेश्याम पुत्र रामप्यारे मुसहर, अंगद पुत्र रामप्यारे मुसहर, महरी पत्नि स्व0 रामवृक्ष मुसहर, राजेन्द्र पुत्र मोती मुसहर, कलावती पत्नि रामअवध अनु0 जाति, गंगा पुत्र सुखई गड़ेरी,कालीप्रसाद पुत्र तिवारी कोल, रामप्यारे पुत्र कतवारू मुसहर हैं।
वनविभाग द्वारा यह कहा जा रहा है कि यह लोग अतिक्रमणकारी है जिसके लिए उन्हें जिलाधिकारी द्वारा र्निदेश दिए गए है इन अतिक्रमण को हटाने के लिए। जब  जिलाधिकारी से बात की गई तो उन्होंने इस तरह के किसी भी आदेश को देने से इंकार किया है। यह कार्यवाही उन परिवारों पर की गई है जो कि प्रदेश में लागू वनाधिकार कानून 2006 के अंतर्गत अपने अधिकारो को पाने के लिए हकदार है। और यह परिवार 15 दिसम्बर 2006 के पूर्व से यहां बसे हुए हैं। रा0 वनजन श्रमजीवी मंच से जुड़े कायकर्ता इस क्षेत्र में कई वर्षो से वनाधिकारों के मामले में सघन अनुसंधान कर रह हैं जिसके कारण हम इन परिवारों से पिछले दस वर्षो से जुड़े हुए है। इन परिवारों को सन् 2003 में में भी वनविभाग द्वारा इस भूमि से बेदखल किया गया था, इनकी फसलें उजाड़ दी गई थी और इन्हें अतिक्रमणकारी घोषित कर आदिवासीयों की ही भूमि पर वनविभाग द्वारा कब्ज़ा कर लिया गया था।  यह परिवार वनविभाग से लगातार संघर्ष करते रहे व फिर 2005 में इन परिवारों ने अपनी भूमि को वापिस हासिल किया। वनाधिकार कानून आने के बाद उनका उक्त भूमि पर दावा और भी मजबूत हुआ लेकिन चन्दौली जनपद के आदिवासीयों के साथ जनपद के बंटवारे के चलते एक बार फिर धोखाधड़ी हुई। सन् 2002 में सपा सरकार के ही दौरान प्रदेश के तेरह आदिवासी समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल किया गया था उस समय चन्दौली जनपद वाराणसी में ही शामिल था। सन् 2004 में चन्दौली को पुन एक अलग जनपद बनाया गया, अलग जनपद बनते ही चन्दौली जनपद में रहने वाले तमाम अनुसूचित जनजातियों को प्राप्त दर्जा भी उनसे छीन लिया गया। जबकि अगर वे वाराणसी में अनु0 जनजाति में शामिल थे तो राज्य सरकार द्वारा उन्हें वहीं दर्जा जनपद चन्दौली में दिया जाना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं किया गया जिसके कारण आज भी जनपद चन्दौली के निवासी अपनी पहचान से महरूम हैं। यह भी एक विडम्बना ही है कि इस जनपद के आदिवासीयों को एक सरकार ने अनु0 जनजाति का दर्जा और दूसरी सरकार ने इस दर्जे को छीन लिया। इस से ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण बात और क्या हो सकती है कि अभी तक यहां के आदिवासीयों को कोई भी सरकार उनके संवैधानिक अधिकार को बहाल नहीं कर पाई है।
सरकारों द्वारा यहां के आदिवासीयों की संवैधानिक अधिकारों की बहाली न करने का खामियाजा आज भी यहां के आदिवासी चुका रहे हैं जिन्हें वनाधिकार कानून 2006 से वंिचत किया जा रहा है । वहीं वनविभाग द्वारा इस स्थिति का फायदा उठा कर मनमानी कार्यवाही की जा रही है व यहां पर रहने वाले आदिवासीयों का उत्पीड़न किया जा रहा है, उनके घरों से उन्हें बेदखल किया जा रहा है, उनके उपर झूठे मुकदमें लादे जा रहे हैं व उन्हें जेल भेजा जा रहा है। 
 

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Upendra Kumar
Manager Model Block,
PVCHR/JMN,
Sa 4/2A, Daulatpur, Varanasi,
U.P.-India-221002.
Mob:- +91-9335648060, +91-9935599338
Email:- pvchr.adv@gmail.com,
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Tuesday, July 3, 2012

Fwd: पीडित अमरनाथ शर्मा के पुत्र अमित कुमार के अपहरण मामले मे स्थानीय पुलिस थाना द्वारा हिला - हवाली करना और सम्भावित दोषियो के खिलाफ कार्यवाही नही करने के सन्दर्भ मे !


---------- Forwarded message ----------
From: Detention Watch <pvchr.adv@gmail.com>
Date: 2012/7/3
Subject: पीडित अमरनाथ शर्मा के पुत्र अमित कुमार के अपहरण मामले मे स्थानीय पुलिस थाना द्वारा हिला - हवाली करना और सम्भावित दोषियो के खिलाफ कार्यवाही नही करने के सन्दर्भ मे !
To: uppcc-up@nic.in
Cc: lenin@pvchr.asia, Lenin Raghuvanshi <pvchr.india@gmail.com>


                                                                                                                                दिनांक - 03 जुलाई, 2012.
सेवा मे,
          श्रीमान पुलिस महानिदेशक,
          लखनऊ - उत्तर प्रदेश !
विषय :- पीडित अमरनाथ शर्मा के पुत्र अमित कुमार के अपहरण मामले मे स्थानीय पुलिस थाना द्वारा हिला - हवाली करना और सम्भावित दोषियो के खिलाफ कार्यवाही नही करने के सन्दर्भ मे !
महोदय,
          हम आपका ध्यान विषयक के सम्बन्ध मे आकृष्ट कराना चन्हुंगा, पीडित अमरनाथ शर्मा, पुत्र - स्व0 शिव प्रसाद शर्मा, निवासी - मोहल्ला - 12/87, सी0, लह्ंगपुरा, थाना - चेतगंज, वाराणसी जनपद के है, उनके 19 वर्षीय पुत्र अमित कुमार का दिनांक 29 मई, 2012 को लगभग 6:00 बजे शाम मे अपहरण किया गया ! जिसके तत्काल सूचना स्थानीय थाना चेतगंज के की गयी, वहा गुमशुदगी का मामला दर्ज की गयी !
         इस सन्दर्भ मे दिनांक 05 जून, 2012 को पीडित द्वारा मु0अ0स0 144/12,  थाना चेतगंज मे नामजद प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराया गया, लेकिन आज तक उनके पुत्र का कोई अता- पता नही चल सका है, दूसरी तरफ सम्भावित दोषियो सिद्धनाथ शर्मा, उनका साला दिलीप कुमार शर्मा पुत्र - मुरारी शर्मा द्वारा घूम - घूमकर कह रहे है की अबकि बारी अमरनाथ की है, जबकि F.I.R  मे ये लोंग नामजद है. वही सम्बन्धित थाना जांच प्रक्रिया न चलाकर उल्टे पीडित को ही धमका रहे है, और विवेचना के नाम पर हिला - हवाली की जा रही है.
        न्यायोचित कानूनी कार्यवाही के लिए पीडित उच्च अधिकारियो से गुहार भी लगाये, लेकिन मामले मे किसी भी प्रकार की उचित कार्यवाही नही की गयी है, जिससे पीडित का मनोस्थिति बिगडती जा रही है और हताश व निराश है ! 
        अत: श्रीमान से निवेदन है की मामले मे हस्तक्षेप कर पीडित के पुत्र को बरमदी करवाने तथा परिजन व गवाहो को सुरक्षा प्रदान कराते हुए सम्भावित दोषियो एवम थाना पर न्यायोचित कार्यवाही करने की कृपा करे ! 
संलग्नक :- Please find the attached files. 
भवदीय
(ड0 लेनिन)
महासचिव
मानवाधिकार जन निगरानी समिति,
सा 4/2 ए., दौलतपुर, वाराणसी - 221002,
उत्तर प्रदेश - भारत !
मो0 - +91- 9935599333.
ई - मेल - lenin@pvchr.asia



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Upendra Kumar
Manager Model Block,
PVCHR/JMN,
Sa 4/2A, Daulatpur, Varanasi,
U.P.-India-221002.
Mob:- +91-9335648060, +91-9935599338
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Promotion of Human Dignity - categorize activities/actions/behavior/tricks, works/mechanism/machinery/facility, experiences/practices/occurrences/incidents, emotions/sentiments, expectations etc. and make crime...

'Journey against Torture' show solidarity and support for all victims of torture.


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26th JUNE UN INTERNATIONAL DAY IN SUPPORT

OF VICTIMS OF TORTURE



People of India calls upon the Government of India to immediately ratify the Convention against Torture and Other Cruel, Inhuman, Degrading Treatment or Punishment (“CAT”) and to pass a domestic legislation categorically prohibiting torture immediately.



26th June marks the UN International Day in Support of the Victims of Torture. It provides us with an opportunity to honour the victims and survivors of torture, and for us all, survivors of torture and their allies, to stand in solidarity. This day is marked with significance because, it was on June 26th 1987, that the Convention against Torture, Inhuman Degrading Treatment or Punishment (CAT) came into effect (adopted in 1984).



Article 1 of CAT defines torture as “any act by which severe pain or suffering, whether physical or mental, is intentionally inflicted on a person, for such purposes as, obtaining from him or a third person information or a confession, punishing him for an act he or a third person has committed or is suspected of having committed, or intimidating or coercing him or a third person, or for any reason based on discrimination of any kind, when such pain or suffering is inflicted by or at the instigation of or with the consent or acquiescence of a public official or other person acting in an official capacity. It does not include pain or suffering arising only from, inherent in or incidental to lawful sanctions.”



Despite its absolute prohibition, torture continues: both physical and psychological torture. Torture is today prevalent in over half the world’s countries. This is a disgrace in the twenty-first century. Its victims are men, women – often targeted by rape and other sexual torture, and also, children. Torture victims are disproportionately from marginalized groups, in particular the poor, but also women and minority groups. The aim of torture is to exert power, to punish, create fear, to destroy trust, to break down the victim’s personality and resilience. It is first and foremost a means of instilling fear in society at large. Torture is not only destructive at the individual and family level, but also a crucial obstacle to economic and social development.



The effects of torture continue long after the actual act has happened. And rehabilitation is crucial – for the individual, their family and their society. The purpose of rehabilitation is to empower the torture survivor to resume as full a life as possible. Rebuilding the life of someone whose dignity has been destroyed takes time and as a result long-term material, medical, psychological and social support is needed. It is important to stress that rehabilitation is possible. And it works. The positive impact of rehabilitation efforts is often far-reaching. Rehabilitation is also a right. Article 14 of the United Nations Convention Against Torture expressly provides that States should make compensation an enforceable right, including the means for as full rehabilitation as possible.



As of 22nd June 2011, there are 150 State Parties, who have shown their commitment to eradicating torture by ratifying CAT and 74 states that are yet to ratify CAT - the Government of India has still not ratified CAT, (signed in October 1997). Ratification would be an important step in securing the effective protection against torture by requiring changes to domestic law aligning Indian practice with the well-established international standards on torture.



The Government of India introduced the Torture Bill in the Lok Sabha on 26th April, 2010. The Lok Sabha passed the Bill on May 6, 2010. The Rajya Sabha then referred the Bill to a Select Committee through a motion adopted on August 31. The Committee submitted its report in December 2010 and made some recommendations which would correct most of the defects in the Bill if accepted. The time has now come for the Government to amend and expand its current definition of torture to conform to its obligations of the United Nations Convention Against Torture.



Sadly, the practice of torture remains a pervasive feature of India’s criminal justice system and society more widely. In this regard, it should be noted that instances of torture are not confined to police custody and interrogation situations. In a variety of other settings, particularly in the private sphere, vulnerable groups are subjected to standards of treatment which are no less severe than those meted out in police custody. example, the emotional and physical ordeal endured by women harassed for dowry, or who are subjected to sexual harassment and discrimination based on gender; the plight of young children forced into child and bonded labor, or subjected to verbal, physical and sexual abuse; the suffering caused by social boycotts on marginalized groups and the severe inhumane forms of atrocities perpetrated by upper castes on Dalits.



Together on this UN International Day in Support of Victims of Torture, we affirm the right of survivors of torture to rehabilitation. We take the opportunity to remind governments to take seriously their responsibilities to ensure as full rehabilitation and we remind all that rehabilitation is a right and it works.



The Government of India ensure following demands :-



1) To ensure that an order from a superior officer or a public authority may not be invoked as justification for committing torture;

2) To provide an effective mechanism to promptly investigate any allegation of torture;

3) To make compensation an enforceable right, including the means for full rehabilitation.

AND

1. The immediate ratification of the Convention against Torture without any reservations and the signing and ratification of the Optional Protocol to the Convention;

2. The passing of legislation which brings domestic violence within the definition of torture;

3. Specific safeguards protecting women, children, dalits and minorities, set out in legislation and strictly enforced through human rights institutions and court directions;



'Journey against Torture’ show solidarity and support for all victims of torture.

Monday, July 2, 2012

Fwd: किशुन, पुत्र - जगरनाथ मौर्य, निवासी :- ग्राम - हिन्दुवारी, थाना - राबर्टगंज, जिला - सोनभद्र, राज्य -उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जेल के अन्दर न्यायिक हिरासत मे मौत पर शिकायत के सन्दर्भ मे !



---------- Forwarded message ----------
From: Detention Watch <pvchr.adv@gmail.com>
Date: 2012/7/3
Subject: किशुन, पुत्र - जगरनाथ मौर्य, निवासी :- ग्राम - हिन्दुवारी, थाना - राबर्टगंज, जिला - सोनभद्र, राज्य -उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जेल के अन्दर न्यायिक हिरासत मे मौत पर शिकायत के सन्दर्भ मे !
To: Anil Kumar Parashar <jrlawnhrc@hub.nic.in>, akpnhrc@yahoo.com
Cc: lenin@pvchr.asia, Lenin Raghuvanshi <pvchr.india@gmail.com>


                                                              दिनांक - 03 जुलाई, 2012.

सेवा मे,                                                           

    श्रीमान अध्यक्ष,

    राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग,

    नई दिल्ली – भारत !

 

विषय :-  श्री किशुन, पुत्र - जगरनाथ मौर्यनिवासी :- ग्राम - हिन्दुवारी, थाना - राबर्टगंज, जिला - सोनभद्र, राज्य -उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जेल के अन्दर न्यायिक हिरासत मे मौत पर शिकायत के सन्दर्भ मे ! 

 

महोदय / महोदया,

 

आपको उपरोक्त घटना के बारे में Detention Watch " गिरफ्तारी पर गश्त " के तहत मानावाधिकार जन निगरानी समिति ( PVCHR ) सूचित करा रहा है कि इस घटित उपरोक्त घटना की हालात के बारे में संदेह है ! इसलिए कानून के राज के तहत जबाबदेही के लिए आवश्यक कार्यवाही जरूरी हैं !

 

मैं राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग से अनुरोध करता हू कि इस मामले में हो चुकी जांच पर यदि आवश्यक हो तो न्यायिक जांच गठित कर हस्तक्षेप करें ! यह भी जरूरी है की राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा जारी दिशा - निर्देशों के तहत सक्षम प्राधिकारी द्वारा पालन करने और विधिवत सूचना दिया गया या नही ? मामले मे दोषी अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू किया जाना चाहिए !

मृतक के निकट आश्रित को न केवल पर्याप्त रूप से मुआवजा दिया जाना चाहिए, साथ ही साथ  प्रशिक्षित मनोवैज्ञानिक – सामाजिक कार्यकर्ता से मनोवैज्ञानिक सहायता देना भी जरूरी है !

 

धन्यवाद !

 

भवदीय / भवदीया

 

 

( डा0 लेनिन)

महासचिव  –

Detention Watch "गिरफ्तारी पर गश्त"

C/O:- मानवाधिकार जन निगरानी समिति (PVCHR)

         सा 4/2ए., दौलतपुर, वाराणसी, उत्तर प्रदेश – 221002.

ईमेल –  lenin@pvchr.asia 
 
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Upendra Kumar
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Sunday, July 1, 2012

Fwd: झारखण्ड के गिरीडिह जिला मे विधायक ने गर्भवती को पीटा, गर्भ में पल रहे बच्चे की मौत के सन्दर्भ मे !



---------- Forwarded message ----------
From: Detention Watch <pvchr.adv@gmail.com>
Date: 2012/6/28
Subject: झारखण्ड के गिरीडिह जिला मे विधायक ने गर्भवती को पीटा, गर्भ में पल रहे बच्चे की मौत के सन्दर्भ मे !
To: ncw@nic.in, complaintcell-ncw@nic.in
Cc: lenin@pvchr.asia, Lenin Raghuvanshi <pvchr.india@gmail.com>


                                                                                                                     दिनांक - 28 जून, 2012.
सेवा मे,
           श्रीमान अध्यक्षा महोदया,
           राष्ट्रीय महिला आयोग,
           नई दिल्ली - भारत !
 
विषय :- झारखण्ड के गिरीडिह जिला मे विधायक ने गर्भवती को पीटा, गर्भ में पल रहे बच्चे की मौत के सन्दर्भ मे !

महोदया,

      विषयक के सन्दर्भ मे आपका ध्यान आकृष्ट कराना चन्हुंगा,  जमीन पर जबरन कब्जा करने को लेकर झारखण्ड के गिरीडिह जिला के जमुआ विधायक चंद्रिका महथा ने अपने भाई व अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर पड़ोस की एक महिला तारा देवी - 27 वर्ष की जमकर पिटाई की है। पिटाई से महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे की मौत हो गई। वहीं महिला को किसी तरह बचाया जा सका है। मामला जमीन विवाद से जुड़ा है। इस संबंध में इलाजरत तारा देवी (27) ने पुलिस से लिखित शिकायत की है।
घटना यह हुई की देर रात अचानक जमुआ विधायक चंद्रिका महथा, उसके भाई अयोध्या महथा, नरेश महथा, बासुदेव महथा, सुमित्रा देवी, मसोमात प्रेमा देवी सहित कई लोग उसके घर पहुंचे और उसके पति मनोज महथा को खोजने लगे। साथ ही जमीन छोड़ने की धमकी देने गए। पति के न मिलने पर विधायक और उनके रिश्तेदारों ने उन्हें ही पीटना शुरू कर दिया। तारा देवी को गंभीर हालत में सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां आनन-फानन में गर्भ से बच्चे को निकाला गया।
  

विधायक बनने के बाद सम्भावित दोषी ने पीडिता के पति को फर्जी मुकदमा मे भी फसाए है, जमीन को लेकर कई वर्षो से झगडा चल रही थी.     

          अतः आप से अनुरोध है कि कृपया इस मामले को संज्ञान मे लेते हुये इस पर त्वरित कार्यवाही का आदेश दे तथा मुआवजा के साथ मामले के पीडित परिजन को और गवाहो को सुरक्षा के साथ सम्भावित दोषियो पर कानूनी कार्यवाही की जाए !

 

भवदीय
 
डा0 लेनिन,
(महासचिव)
 
मानवाधिकार जननिगरानी समिति,
सा 4/ 2 ए. दौलतपुर, वाराणसी - 221002
 
मो. - +91-9935599333.
ई - मेल - lenin@pvchr.asia,
 
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संलगनक : - http://www.bhaskar.com/article/JHA-RAN-mla-mahtha-beaten-the-pregnant-unborn-childs-death-3456025.html

विधायक महथा ने गर्भवती को पीटा, गर्भ में पल रहे बच्चे की मौत

गिरिडीह। जमीन पर जबरन कब्जा करने को लेकर जमुआ विधायक चंद्रिका महथा ने अपने भाई व अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर पड़ोस की एक महिला की जमकर पिटाई की है। पिटाई से महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे की मौत हो गई। वहीं महिला को किसी तरह बचाया जा सका है। मामला जमीन विवाद से जुड़ा है। इस संबंध में इलाजरत तारा देवी (27) ने पुलिस से लिखित शिकायत की है।

तारा देवी का कहना है कि मंगलवार की देर रात अचानक जमुआ विधायक चंद्रिका महथा, उसके भाई अयोध्या महथा, नरेश महथा, बासुदेव महथा, सुमित्रा देवी, मसोमात प्रेमा देवी सहित कई लोग उसके घर पहुंचे और उसके पति मनोज महथा को खोजने लगे। साथ ही जमीन छोड़ने की धमकी देने गए। पति के न मिलने पर विधायक और उनके रिश्तेदारों ने उन्हें ही पीटना शुरू कर दिया। तारा देवी को गंभीर हालत में सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां आनन-फानन में गर्भ से बच्चे को निकाला गया।

 

 










 
 




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Fwd: Most urgent : उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जनपद के दुद्धी ब्लाक के जोरकहू गांव की 55 साला भगिया को डायन घोषित कर गांव से बाहर जाने को कह दिये जाने के सन्दर्भ मे !



---------- Forwarded message ----------
From: Detention Watch <pvchr.adv@gmail.com>
Date: 2012/6/5
Subject: Most urgent : उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जनपद के दुद्धी ब्लाक के जोरकहू गांव की 55 साला भगिया को डायन घोषित कर गांव से बाहर जाने को कह दिये जाने के सन्दर्भ मे !
To: ncw@nic.in, complaintcell-ncw@nic.in
Cc: lenin@pvchr.asia


                                                                                                                   दिनांक - 05 जून, 2012.
सेवा मे,
           अध्यक्षया महोदया,
           राष्ट्रीय महिला आयोग,
           नई दिल्ली - भारत !
 
विषय : उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जनपद के दुद्धी ब्लाक के जोरकहू गांव की 55 साला भगिया को डायन घोषित कर गांव से बाहर जाने को कह दिये जाने के सन्दर्भ मे !

महोदया,

      विषयक के सन्दर्भ मे आपका ध्यान आकृष्ट कराना चन्हुंगा, जहा के एक वृद्ध महिला को डायन कह कर उत्पीडन किया जा रहा है, वहा के जनप्रतिनिधि यानि विधायक से प्रधान तक इस मामले मे अगम्भीर हो कर अपना पल्ला झाड. रहे है, और खबर छपने तक किसी भी स्थानीय प्रशासन द्वारा मामले मे हस्तक्षेप नही की गयी है, स्थानीय पुलिस भी मामले से अभी तक अनभिज्ञता जाहिर कर रही है, जो की महिलाओ के अस्मिता को संरक्षण को लेकर दुखद है. आज भी आधी आबादी की मानवाधिकार हनन की मामला इसी कु - प्रथा के कारण मानवता शर्मशार है. 

       

      इस मामले मे अभी भी महिला को डायन कह कर गांव से बाहर करने के लिए उत्पीडन किया जा रहा है !

 

      महोदया आज भी आधी आबादी की मानवाधिकार हनन की मामला इसी कु - प्रथा के कारण मानवता शर्मशार है, इसलिए मामले मे पीडित महिला और उसके परिवार को त्वरित सुरक्षा और सम्मान हेतु व्यवस्था की जाए !

      

      अतः आप से अनुरोध है कि कृपया इस मामले को संज्ञान मे लेते हुये इस पर त्वरित कार्यवाही का आदेश दे ताकि समाज मे फैली कु - प्रथा के तोडते हुए न्याय की व्यवस्था लागू हो और सम्मानपूर्ण जीवन के जीने की व्यवस्था बने तथा मुआवजा के साथ मामले के पीडित परिजन के साथ गवाहो को सुरक्षा के साथ सम्भावित दोषियो पर कानूनी कार्यवाही की जाए !

 

  संलगंक : -

http://epaper.amarujala.com/svww_zoomart.php?Artname=20120605a_001190003&ileft=-5&itop=1248&zoomRatio=136&AN=20120605a_001190003

'विधायक जी अबहीं भूत नहिनी उतरल'

मनोज श्रीवास्तव

लखनऊ। सोनभद्र के नक्सल प्रभावित दुद्धी ब्लाक के जोरकहू गांव की 55 साला भगिया को डायन घोषित कर गांव से बाहर जाने को कह दिया गया है। उसे एक दर्जन लोगों सहित तमाम जानवरों की मौत का दोषी भी बताया गया है। भगिया के दोनों बेटे बूढ़ी मां को घर से निकालने को तैयार नहीं है।

मामला पहले पुलिस फिर स्थानीय विधायक रूबी प्रसाद की चौखट पर पहुंचा। भगिया को किसी ओझा के पास ले जाकर भूत उतरवाने की सलाह देकर विधायक ने बीच का रास्ता निकालने की कोशिश की। विधायक की सलाह पर उसे देवास (जहां ओझा भूत झाड़ता है) में एक हफ्ता बिताने के लिए भेजा गया। पर गांव वालों का कहना है कि भगिया का भूत नहीं उतरा है, अभी भी शरापती (श्राप) रहती है, वे उसे गांव से बदर करने पर उतारू हैं। टकराव की स्थिति बन रही है। परेशान गांव वाले, जिनमें आदिवासियों की संख्या अधिक है, सत्र में भाग लेने लखनऊ आईं विधायक को फोन करके कहते हैं कि 'विधायक जी कुछ करऽ, अबहीं भूत नहिनी उतरल।'

जोरकहू गांव में पिछले एक साल के दौरान जानवरों व मनुष्यों की मौत की कुछ घटनाएं हुईं। गांव वालों का माथा ठनका और घटनाओं की वजह भूत-प्रेत का प्रकोप मान लिया गया और शक भगिया पर किया।

शेष पेज 16 पर

गांव वाले दर्जन भर लोगों और जानवरों की मौत का जिम्मेदार मानते हैं भगिया को

ऐसी घटनाएं जब-तब इस आदिवासी बहुल पिछड़े इलाके में होती रहती हैं। विधानसभा में मुद्दा उठाकर सरकार की ध्यान इस पिछड़ेपन की तरफ खींचने की कोशिश करूंगी

-रूबी प्रसाद. विधायक दुद्धी

भगिया की वजह से गांव को बहुत नुकसान हो चुका है। गांव की बेहतरी के लिए आवश्यक है कि वह अब बाहर चली जाए। वरना गांव को और बड़ी विपदाओं का सामना करना पड़ेगा।

-चंद्रिका प्रसाद, निवासी, जोरकहू

निजी तौर पर मैं भूत-प्रेत जैसी किसी चीज पर विश्वास नहीं करता। पर आदिवासी बहुल गांव में लू लगने या पेट खराब होने पर भी लोग पहली उंगली भूत व जादू टोटकों की तरफ उठाते हैं।

-राजकुमार सिंह, प्रधान, जोरकहू

भगिया

 

प्रथम पेज के शेष

 

विधायक जी...

शक पुख्ता करने के लिए गांव के लोग 17 अप्रैल को जिले की सीमा से लगे झारखंड के सिंघी ताली (देवास) गांव गए, जहां ओझा लोग भूत प्रेत उतारने का काम करते हैं। वहीं एक ओझा ने बताया कि भगिया नामक औरत पर भूत-प्रेत आते हैं और उसी की वजह से गांव में असामयिक मौतें हो रही हैं, आगे और विपदाएं आ सकतीं हैं। बस भगिया आ गई निशाने पर। गांव के 9 परिवारों को भगिया के प्रकोप का शिकार बताया गया। गांव वालों ने उसके बेटों से भूत उतरवाने को कहा। बेटों ने पहले तो हामी भर दी पर बाद में कहने लगे कि वे गांव छोड़कर नहीं जाएंगे। मां को भी नहीं छोड़ूेंगे। इस पर गांव वालों ने पहले पुलिस से फरियाद की। पुलिस ने दोनों पक्षों को बुलाया, पर मारपीट के भय से लोग पुलिस के पास नहीं गए। मामला विधायक के पास पहुंचा। गांव वालों ने बाकायदा भगिया मामले की लिखित शिकायत विधायक से की। विधायक ने दोनों पक्षों की उपस्थिति में तीन घंटे पंचायत कराई। बकौल विधायक, पंचायत में भगिया से जब उस पर लगे इल्जामों के बारे में पूछा गया तो उसने बड़े ही कातर भाव से कहा कि 'कहां कऽ भूत, कहां कऽ परेत, हियां तऽ पेट पै लाला पड़ल बाऽ।' पर पंचायत में उसके बेटों के अलावा कोई व्यक्ति उसकी सफाई पर कान देने को तैयार नहीं था। विधायक ने भी पहले भूत-प्रेत जैसी कोई चीज नहीं होती है, कहकर मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की पर खासतौर से आदिवासी इस तरह की बात सुनने तक को तैयार नहीं थे। माहौल देख विधायक ने भी दबाव नहीं बनाया और कहा कि भगिया देवास (सोनभद्र की सीमा से लगा झारखंड का सिंधीताली गांव जहां ओझा भूत-प्रेत झाड़ते हैं) जाकर भूत उतरवा ले। भगिया देवास से होकर आई है। पर गांव वाले कह रहे हैं कि उसका भूत नहीं उतरा है। साथ ही विधायक पर दबाव बना रहे हैं कि वह समस्या का निराकरण करवाएं, अन्यथा उनके गांव में विपदाओं का दौर जारी रहेगा। विधायक खुद को धर्मसंकट में महसूस कर रही हैं। एक तरफ भगिया की कातर भाव से देखती आंखे हैं तो दूसरी तरफ बाहरी दुनिया से काफी कुछ अनजान और अंधविश्वास में जकड़ा आदिवासी समाज। गांव वाले धमकी भरे सुर में बोल रहे हैं कि अगर भगिया जल्द ही गांव से बेदखल न हुई तो वे पंचायत के जरिए कोई निर्णायक कदम उठाएंगे।

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भवदीय
 
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