Sunday, June 30, 2013

अंग्रेजो की इस साम्राज्यवादी नीति सर चार्ल्स नेपियर (Sir Charles Napier) के इस कथन से भली भांति स्पष्ट होती है “यदि मै भारत का सम्राट 12 वर्ष के लिए भी होता, तो एक भी भारतीय राजा नही बचता ! निज़ाम का नाम भी कोई न सुन पाता... नेपाल हमारा देश होता”


भारत मे ब्रिटिश साम्राज्यवाद का कठोरतम मुकाबला !
Toughest resistance of British imperialism in India.
भाग-2

Ø  गोरो के जाने के बाद अंग्रेजियत और साम्राज्यवादी तथा नव सामंतवादी कि स्थिति बदलती नज़र नही आती, आज व लोकतांत्रिक भारत तथा अंग्रेजी हकूमत से तुलनात्मक नजरिया से देखते हुए विचार दे, कुछ परिवर्तन समझ मे आती है ! आईय़े जाने ऎतिहासिक मानवाधिकार हनन, त्रासदी कि कहानी, जो आज तक कही नही, कभी नही देखी व सुनी गयी !  
Ø  यहा ब्रिटिश हुक्मरानो और विदेशी कि गुलाम भारत कि स्थिति पर निम्न टिप्पणी थी :
1.       ईस्ट इण्डिया कम्पनी के अध्यक्ष मैंगल्स ने सन 1857 मे ब्रिटिश पार्लियामेंट के अन्दर कहा था  - “पर्मात्मा ने हिन्दुस्तान का विशाल साम्राज्य इंगलिस्तान को इसलिए सौपा है ताकि हिन्दुस्तान मे एक सिरे से दुसरे सिरे तक ईसा मसीह का विजयी झण्डा फहराने लगे ! हममे से हर एक को अपनी पूरी शक्ति इस कार्य मे लगा देनी चाहिए, ताकि सारे भारत को ईसाई बना लेने के महान कार्य मे देश भर के अन्दर कही पर किसी कारण जरा भी ठील न आने पाये”
2.       वही मि0 कनेडी ने लिखा था – हमारा मुख्य कार्य भारत भूमि मे ईसाई मत का प्रचार करना है ! जब तक कन्याकुमारी से हिमालय तक का सारा हिन्दुस्तान इस्लाम तथा हिन्दू ध्रर्म को छोर कर ईसाई मत ग्रहण नही करता, हमारी कोशिश दृढ्ता से जारी रहनी चाहिए ! इस काम मे सफलता प्राप्त करने के लिए हमे अपनी सारी राजनितिक शक्ति भी लगा देनी चाहिए ! our chief work is the preparation of Christianity in the land until Hindustan from cape comorin to the Himalayas, embraces the religion of Christ and until it condemns the Hindu and Muslim religious, our efforts must continue persistently” -  Kennedy.
3.       अंग्रेजो की इस साम्राज्यवादी नीति सर चार्ल्स नेपियर (Sir Charles Napier) के इस कथन से भली भांति स्पष्ट होती है “यदि मै भारत का सम्राट 12 वर्ष के लिए भी होता, तो एक भी भारतीय राजा नही बचता ! निज़ाम का नाम भी कोई न सुन पाता... नेपाल हमारा देश होता”  
 

Tuesday, June 25, 2013

भारत मे ब्रिटिश साम्राज्यवाद का कठोरतम मुकाबला ! Toughest resistance of British imperialism in India.



भारत मे ब्रिटिश साम्राज्यवाद का कठोरतम मुकाबला !
Toughest resistance of British imperialism in India.

किसी भी देश के संविधान का भली प्रकार ज्ञान प्राप्त करने के लिए उसके विकाश के लिए इतिहास को जानना बहुत ही आवश्यक है क्योकि प्रत्येक संविधान की जडे उसके अतीत मे छिपी रहती है ! यदि हम भारत के संविधान का पूरी तरह ज्ञान प्राप्त करना चाहते है, तो हमे भारत के इतिहास की तरफ अपनी दृष्टि दौडानी पडेंगी कि किस तरह उन्होने सत्ता यहा स्थापित की, जिसके विरूध्द भारतीयो ने स्वतंत्रा – आनदोलन किए !
यहा हम केवल अंग्रेजो द्वारा तत्कालिन कथन और दुनिया के गैर – भारतीयो द्वारा उल्लेखन का वर्णन है, जो “अन्धेरो मे छलांग” की उपज – हिटलर कि तानाशाही को सबसे बडा मानवता पर कलंक को धूमिल कर उजालो मे छलांग के व्यपारियो “ब्रिटिश हकूमत कि कठोरतम साम्राज्यवादी नीति क्यो नही ? .....
इसका कारण समझ मे यही आती है कि कमजोर देश के हिट्लर ने आज के सबसे धनी और ताकतवर समूह के खिलाफ तांडव किया, दूसरी तरफ इसका उल्टा मजबूत देश ने कमजोर व अश्वेत पर कहर बरपाया ! इसलिए इतिहास ने इसे लगभग माफ कर दिया या करने वाला है !
अध्याय शुरू करने से पहले यह चाह लाज़मि है कि सदभावना और समभाव के लिए स्वतंत्रता आन्दोलनकारियो को इसी बहाने नमन कर ले :- कुछ उल्लेख
1.       भारतीय इतिहास मे क्रांतिकारियो, आन्दोलनकारियो के त्याग और बलिदान अनुपम है, परंतु जन-जागरण किए बिना, केवल सेना मे विद्रोह के भरोसे स्वतंत्रता प्राप्त नही हो सकती थी !
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक हमेशा कहा करते थे कि यदि स्वराज्य शिवा जी के समय सम्भव था तो आजकल क्यो नही ? वे प्रथम भारतीय थे जिन्होने देश को यह नारा दिया कि “ स्वातंत्रता हमारा जन्म सिद्धाधिकार है, इसे हम लेकर रहेंगे ! उन्होने इस हेतु अनेक भाषण दिए, जिसके कारण इन्हे गिरफ्तार कर लिया गया !
देश के विद्वान वकिल मो0 अली जिन्ना जी ने उनके केस की वकालत बडे अच्छे ढंग से की ! फिर भी अंग्रेजो ने तानाशाही का परिचय देते हुए उन्हे रंगून जेल मे कैद कर दिया गया ! जहा काली कोठरी मे मोटे – मोटे मच्छर थे, लेकिन तिलक जी ने वहा भी ‘गीता – रहस्य’ नामक अद्वितीय पुस्तक लिखी !
प्रथम विश्व युध्द के समय जब अंग्रेजो को भारतीय सैनिक सहयोग कि जरूरत हुयी तब उन्हे रिहा किया गया ! अंग्रेजी हकूमत से असहयोग कि रवैया अपनाने वाले तिलक जी ने बम्बई के राज्यपाल द्वारा बुलाई गयी बैठक से बार – बार टोके जाने के कारण वाकआउट कर दिये !
इसके पश्चात उन्होने लखनऊ पैक्ट -1916 मे किया, जिसके कारण कांग्रेस तथा मुस्लिम लीग साथ भाग लिये ! मौलान शौकत अली और मुहम्मद अली जी भी उन्हे कभी मुसलमानो के विरूध्द नही समझते थे !
पहली अगस्त, 1920 ई0 मे तिलक जी स्वर्ग सिधार गए ! गान्धी जी ने उन्हे कन्धा दिया !
2.       महात्मा गान्धी बहुत गतिशील नेता थे ! उन्होने तिलक जी से संकेत पाकर काफी जन-जागरण किये और 1920 मे चलायी गयी खिलाफत और असहयोग आन्दोलन को सफल बनाये ! सत्याग्रह और अहिंसा का पहली बार राजनीतिक क्षेत्र मे प्रयोग किया !
स्वय इन्दिरा जी ने लिखा है कि सत्याग्रह तथा अहिंसा इस देश मे उतनी ही पुरानी है, जितनी कि पहाडिया, परंतु इनका प्रयोग सदा धार्मिक क्षेत्र मे होता था ! गान्धी जी पहले राजनीतिक नेता थे जिन्होने इनका प्रयोग राजनीतिक क्षेत्र मे किया !
वही पूर्व प्रधानमंत्री श्री पी0वी0 नरसिह राव ने 12 जून, 1995 ई0 मे महात्मा गान्धी की 125 वर्षगाठ के अवसर पर यूनेस्को को सम्बोधित करते हुए इस तथ्य को दोहराया  - “हमे यह कादापि नही भूलना चाहिए कि अंग्रेज दो विश्व युद्धो के विजेता थे ! उन्होने जर्मनी के शासको को दो विश्व युध्दो मे हरा दिया था ! जन – जागरण, अहिंसा तथा सत्याग्रह के बिना उन्हे नही भगाया जा सकता था !”
अप्रैल, 1995 ई0 मे ईरान के राष्ट्रपति भारत आए ! उन्होने भारत की धर्म निरपेक्षता के बारे मे जो कहा, उसे हमे कदापि नही भूलना चाहिए !

Thursday, June 20, 2013

राम राज्य कि परिकल्पना क्या है कृप्या

राम राज्य कि परिकल्पना का आधार क्या है ! रामायण मे राम राज्य कि परिकल्पना, जहा सुख, सुशासन और संपन्नता थी, लेकिन समृद्धि का अभाव था ! राजा और उनके अनुयायि संपन्न होते थे ! गांव मे केवल सुख, सुशासन और संपन्नता थी ! आज भी बिहार के मुसहर व महादलितो के बांस के टाटो से बनी घरो मे दरवाजा नही है लेकिन सुख, सुशासन और संपन्नता है, समृद्धि नही ! इन्दरा आवास मे भी दरवाजा न के बराबर है ! मुसहर समुदाय के लोंग लगभग 150-200 तक प्रति सदस्य कमाते है, खाते और खर्च करने के बाद कुछ मिलता नही, तो दरवाजा भी खुला रहता है, राम राज्य कि तरह ! राम राज्य कि परिकल्पना क्या है कृप्या बताये.., जिससे समाज को रास्ता दिखाते हुये अपने पर लागू करे !

people disappointed - frustrated for meditation today. आज लोंग मेडिटेशन के लिए क्या - क्या नही करते

suddenly Important issue come in mind! people disappointed - frustrated for meditation today - do anything for that like management, hard physical & mental work etc ! From my understanding, trust, faith & Credo - iman is enough for that! Every day we are for a few seconds spend for these moment! Therefore ancestors built temple, mosque, church, gurudwara on earth ! Its importance in this case isperfect! suggest that it only right or is wrong!


दिमाग मे अचानक महत्वपूर्ण बात आयी ! आज लोंग मेडिटेशन के लिए क्या - क्या नही करते ! मेरे समझ से केवल श्रधा, विश्वास और आस्था कि जरूरत है ! जो हर पल कुछ सेकेण्ड के लिए हमलोंग करते है ! पूर्वज भी इसीलिए मन्दिर, मस्जिद, गिर्जाघर, गुरूद्वारा बनवाये ! इसकी महत्ता इस मामले मे परफेक्ट है ! बाते बहुत है पर इसे ही केवल समझे और सुझाव दे कि सही है या गलत !