Monday, July 14, 2014

कलयुग के पहले लोग अपने वचन से बंधे रहते थे।

कलयुग के पहले लोग अपने वचन से बंधे रहते थे।
इसीलिए धार्मिक पांडव को अधर्मियों के साथ लम्बा युद्ध करना पड़ा और कई अप्रिय और यश-रहित मार्ग अपनाने पर मजबूर होना पडा। पहले धर्मं का अनुसरण होता था निर्वाहन होता था। अब ज्यादा नफ़ा नुकसान देख कर संवहन किया जाता है।

Saturday, July 5, 2014

Please read...., why? Do You Have A Business Model?

Please read...., why?  Do You Have A Business Model?
In this world there are so many passionate people who is doing great work for society with pure intention without thinking of sustainability and business model or revenue plan. They have sacrificed their career and LIFE to create some value in this world. It's sad part that instead of encouraging such Gandhi's in today's world ,still our society and people are asking same questions.
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Friday, July 4, 2014

समाज के अगुओ को फोकस इन सभी कि ओर होनी चाहिए।

पंथ संघर्ष के इस दौर में होना यह चाहिए की पहले सनातन कि उचित और सही तथ्यों व विचारों से समाज में सही व्याख्या को प्रस्तुत किया जाए। तब अपने आप वर्तमान संघर्ष साकारात्मक रूप में स्थिर होंगा। क्योकि पन्थाचार्यो का योगदान स्वामी विवेकानंद जी के बाद सनातन हेतु नागान्य ही समझे। जितनी मुह उतनी हठ और वैसा ही बजरामूठ की तरह पकडे हुए अनुयायी और अगुआ। हमे बताये वाह जी वाह।।
समाज के अगुओ को फोकस इन सभी कि ओर होनी चाहिए।


Come ! We also come in this category ? बह रहे बयारो का अनुभव रोज़ होता है, और बस शिशकिया दिल से निकलती है

Come ! We also come in this category ?


कर्णधारो से हमेशा अपेक्षा रही कि बन्द करो, लेकिन हमे क्या मालूम उससे रोजी-रोटी जुडी है.. ! बस यही चुप हो जाना पडता है कि बूरा न लगे उनको, क्योकि कल वे हमारे कुछ काम आये ?
इसके बाहर जीना मुश्किल है......, बह रहे बयारो का अनुभव रोज़ होता है, और बस शिशकिया दिल से निकलती है तथा दिमाग गहरी सोचमे....!

Thursday, July 3, 2014

जो भी चीज तुम्हारे दीमाग को गुलाम बनाती हो और

"जो भी चीज तुम्हारे दीमाग को गुलाम बनाती हो और
 जो भी चीज तुम्हारे भाग्य के आगे तुम्हें लाचार बनाती हो,उसे दूर कर दो"