Sunday, April 14, 2013

वोट जात-पात, धर्म - विरादरी, क्षेत्र व परिवार - सम्बन्ध आदि अन्य स्वार्थ जनित बातो से उपर उठ कर दो.

सभी कहते कि वोट जात-पात, धर्म - विरादरी, क्षेत्र व परिवार - सम्बन्ध आदि अन्य स्वार्थ जनित बातो से उपर उठ कर दो. उन कहने वालो से तथा समाज मे सामाजिक काम करने वालो से पूछे कि वे किस आधार पर अपना मत देते है और उन राजनितिक पार्टियो से क्या उपरोक्त स्वार्थ से उपर उठे पाते है ! जब वे स्वार्थ पूर्ति के लिए व समाजिक, बुद्धिजीवि तथा तथाकथित एडवांस लोंग जो उदाहरण है और जैसा उदाहरण पेश करते है ! मुझे समझ मे आता है कि छोड दिया जाए लोंगो पर , धीरे धीरे परिवर्तन हो रहा है ! वैसे भी समाजिक मठधीश कहते .....कम, हिलाओ ज्यादा - जब विजिटर या दान दाता सामने हो ! अगर यह गुण नही तो निरा मूर्ख हो तुम, काम चोर और बैल हो ! वाह रे जमाना क्या चल रही है अपनी चाल ! प्रकृत सक्षम है, स्वभाव और सम्बनध तथा विचार क्रियाशील है ! समाजिक, बुद्धिजीवि तथा तथाकथित एडवांस क्षणभंगुर है, अनुभव करे !

Against inhuman, for dignity "वसुधैब कुटुम्बकम"

Against inhuman, for dignity

A dynamic and natural initiative by people. Without this thought we will/would only do/make market of humanty, satisfy itself and ignore world largest community & population.

This is a initiative we want to get together and share grass root experience of making sense of human - living, not object or objective, subjective is more fruit full & sensitive than only think for them-self for long period of development on the basis of marginalized people / community.

Thank friend here is open to share for all.    

"वसुधैब कुटुम्बकम"