Friday, February 21, 2014

यही एक रस्ता है !

मूल अधिकार या गैर - मूल अधिकार कानूनो और व्यवस्थाओ द्वारा कभी भी प्राप्त नही किया जा सकता, समाजिक संवेदना, सामंजस्य, समरसता, संबन्ध के द्वारा ही अधिकारो को भोगा जा सकता है !
यही एक रस्ता है !

दोनो का मिश्रण अहंकार को कम करने का साधन है !

भ्रष्टाचार इस कदर व्यवहार से होते हुए व्यवस्थाओ मे बैठ चुकी है कि इसे खत्म करने के लिए कोई मैकेनिज्म कम से कम भारत मे नही है ! 
हमारे विचार से केवल यह कम हो सकती है तो अपने व्यवहार मे परिवर्तन कर और प्रोटोकाल कि जरूरतो को जितना हो सके कम अपना कर!

दोनो का मिश्रण अहंकार को कम करने का साधन है !