Tuesday, May 20, 2014

परिवर्तन शब्द----कितना मज़्ज़ा आयेगा !

परिवर्तन शब्द भी अब पर्दाजनक उपयोग के आदि हो गया है. सार्थक परिवर्तन कोई करता नही, चाहने वाले को मिलता नही ! इस लिए वही करते है - जो आप चाहते है, पर होता वही है जो मै चाहता हू. अगर होने लगे यह - "होंगा वही जो आप चाहते हो", कितना मज़्ज़ा आयेगा !

बात अलग है कि जैसे तैसे जीवन है.........

मनन चिंतन और विचार एकाग्रता मे होती है तो...फिर विस्फोटक निर्णय और व्यापक प्रभाव लिए समझदारी उत्पन्न होती ही है ! बात अलग है कि जैसे तैसे जीवन है.........

Friday, May 9, 2014

संघर्ष और शांति ही जीवन है

संघर्ष और शांति ही जीवन है

सभी बातो का खात्मा केवल सामंतवाद, आतंकवाद, अलगावबाद...वाद...वाद..के खात्मा से है. जो नये रूपे मे नये चोंगा लिए समाज मे पैठ बनायी है और नित्य रोज मच्छरो कि तरह बढ रही है. अन्य लोंग को कौआ समाज और संस्कृति जैसा जीवन जीने को मजबूर !

संघर्ष और शांति ही जीवन है, ..........संस्थानो के बिना लोकतंत्र नही, विचारधाराओ से कुछ मिला नही, केवल ज्ञान के लिए सही है, जीने के लिए नही ! संघर्ष करने के बाद शांति मिलती है, मेहनत के बाद नेकी, बिना कर्म किये बोझ डालकर या डलवाकर, थोप कर नेकी करना, नाम कमाना, और पहचान बनाना अच्छा है लेकिन सार्थक नही !

Friday, May 2, 2014

हो रहा भारत निर्माण ......................

देख मेरे संसार कि हालात कैसी हो गयी भाई......,
जब दिल्ली कि जनता ने किसी को बहुमत प्रदान नही करा सकी तब बहुत ही अफसोस हुआ ! मगर कही ज्यादा खुशी और उल्लास मिली कि जमीन से उठा और सभी तथाकथित व्य्वस्थाओ तथा कई तरह के भ्रमित करने वाली विचारो को धत्ता बताते हुए आप ने सरकार बनायी ! सोच कर ही मन प्रसन्नचित और रोमांचित होता था, नई जोश और तरंग पुरे देश मे चलने लगी ! नया समाज और वयक्तित्व सा महसूस होने लगा ! पर हुआ क्या......,
अब तक के आप का निर्यण सभी कि आशाओ को कूचल कर उस राह पर चल दिये, जहा सपनो का मर जाना तय है ! अस्तित्व भी खतरे मे और आश तो पूरी तरह टूटा हुआ ! आप एक उदाहरण बने लेकिन आयुष कि कोई गारंटी भी नही रही ! "अब फिर कभी अखरा मे डाल संजायेगे, अभी बचे  है शेष प्राण खोखली काया (जन) मे" ! मकड्जाल मे फंस कर आप भी वही रह गये और फंस फंसा के चल रहे है !
अब न कोई तीर पार लगा सकता है और न कमान ! बिन कमान के तीर पडे- पडे आप को जोश दे रहा, क्या आप मे वह आत्मविश्वास बचा है !