Friday, February 10, 2012

एक जून रोटी के लिए मशक्कत करते लोंगो की जनसंख्या भी लगभग अनुमानित है 40 %,

कल फिल्ड वर्क के लिय गांवो की तरफ गये हुए थे, किसी गांव के एक सरकारी स्कूल के दिवाल पर लिखा था, "100 दिन का काम और 12000 रूपया सलाना कमाई", यह है मनरेगा की सरकारी करिश्माई! हम ठिठक गये, सोचने लगे की परसो अखबार मे पढे थे की प्रति व्यक्ति राष्टीय आय 5000/- रूपया प्रति माहिना हो गया है, सभी खुश है, जब अधिकांश लोंगो के लिए मनरेगा योजना से केवल 1000 रूपया औसतन कमाई है, उसमे भी भ्रष्टाचार चरम पर दिखता है वैगरह - वैगरह, तब केवल 10% लोंगो की आकूत कमायी पर आकडा मूह चिढाती है, 10% जनसंख्या मे मान लिया जाय (नये धनकुबेर, खानदानी धनकुबेर, राजनेता और नेता - सबसे ज्यादा कमायी की जरिया - देखे प्रत्याशियो की आमदनी, आनलाईन है, माफिया और डान ) इतने लोंग तो हो जायेगे, आप सब भी बताये सही है ! सरकार इन्हे छोड्कर आकडा निकाले..., तब देखा जाय की आमदनी कितनी होती है, एक जून रोटी के लिए मशक्कत करते लोंगो की जनसंख्या भी लगभग अनुमानित है 40 %, जिन्हे राष्टीय पोषण का कैलोरी के अनुसार पौष्टिक भोजन नही मिल पा रहा है.

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