Friday, August 29, 2014

हमारे कुछ लगातार आन्दोलित है या नामांकन कर रहे है ...?

हमारे कुछ लगातार आन्दोलित है या नामांकन कर रहे है ...? 
इस नश्वर जीवन मे सबकुछ परिवर्तनशील है, फिर विद्वेष .... क्यो? 
सुनी-सुनायी और सन्क्षिप्त पढाई से बात नही बनेगी ! 
मूल मे जाय और मूल कि कापी पढे ! सारा भ्रम दूर होंगा ! 
वैसे तो मै भी सूना कि साप सर्वाहारी न हो कर केवल मांसाहारी है ! 
भ्रम कि स्तिथि उत्पन हो ही जाती है , जब् अपने – अपने सुविधा अनुसार बिना पूरी तरह से समझे तथ्यो को विश्लेषण करके समर्थको के बीच लोकलुभावन रूप मे पेश कर देना और अपने को सही प्रतीक कराने हेतु कुछ भी करना / करना ! 
कई आनदोलन अपनी अंतिम अवस्था मे है, भ्रम कि जाल ज्यादा दिनो तक नही रहती !

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