Friday, August 29, 2014

आज कोई भी अपने को एक वर्ण का नही कह सकता, सम्भव है मित्रो - देखने कि कोशिश की...”बन्धुत्व हो, शिक्षित हो व शिक्षित करो और हमेशा संघर्षशील रहो”

आज कोई भी अपने को एक वर्ण का नही कह सकता, वर्ण आधारित कर्म और कर्म आधारित वर्ण के आधार पर कम से कम मै तो नही कह सकता, मेरे द्वारा की गयी कर्मो मे चारो “वर्ण आधारित कर्म और कर्म आधारित वर्ण” कि कर्तव्य और जिम्मेदारी सम्मलित है. चाहे वह कोई हो बिना चारो का अस्तित्व का व्यक्ति ढूंढ पाना मुश्किल है. इस मुश्किल के कारण कई सम्भावनाए पैदा हुयी है – “जाति आधारित जन्म या जन्म आधारित जाति” का अस्तित्व मुश्किल मे आ जायेगा ! कई मठाधीशो को रोजी-रोटी की अन्य व्यवस्था अपनानी पडेगी ! जातिगत संगठन और जाति विरोधी संगठन का अस्तित्व खतरे मे होगी ! समाज नूतन अंगडाई लेगी और समरसता तथा सामंजस्य को बढावा मिलेंगी ! हुनर को सम्मान और पहचान होगी ! आरक्षण और पैरवी कि जरूरत नही, (पर निष्पक्ष चुनाव और सभी के लिए भागीदारी व हिस्सेदारी का खुला मंच हो )! अतीत कि भूलो कि सही पहचान और उसकी रोकथाम कि उचित व्यवस्था कि जायेगी ! कई विद्वान और स्थापित संगठन नाखुश होंगे, व्यक्ति आधारित विचारधारओ का ह्रास होंगा और यथार्थ तथा अनुभव आधारित समाज कि पहचान होंगी ! व्यक्ति केवल अपने और परिवार से उपर उठकर समाज को देखना शुरू करेंगा ! – यही से स्वार्थहीन, अमर्यादाहीन, अराजकताविहिन और संकुचित सोच विहिन समाज का वातावरण का मंच बनायी जाने लगेगी !


सम्भव है मित्रो - देखने कि कोशिश की...बन्धुत्व हो, शिक्षित हो व शिक्षित करो और हमेशा संघर्षशील रहो

No comments: