अच्चे दिन के चक्कर मे “मानसून कि ओर ध्यान ही नही जा पा रहा है”
जो एकटक लगाए हर बार कि तरह बैठे है, उन्हे दिखाया ही नही जाता
“उनका ध्यान केवल और बस केवल मानसून पर ही है” – सालभर कि कमाई हेतु मेहनत भी नही कर पा रहे है !!
वाह रे आईना वाह से दर्पण .....सुन रहा है न तु, सुन रहा हु मै..बस....
जो एकटक लगाए हर बार कि तरह बैठे है, उन्हे दिखाया ही नही जाता
“उनका ध्यान केवल और बस केवल मानसून पर ही है” – सालभर कि कमाई हेतु मेहनत भी नही कर पा रहे है !!
वाह रे आईना वाह से दर्पण .....सुन रहा है न तु, सुन रहा हु मै..बस....
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