Sunday, June 1, 2025

फ़िल्म, कहानियां और मनुष्य व समाज

 फ़िल्में, कहानियाँ ने समाज को सोचने के तरीक़े को गति प्रदान की है, जिससे अत्यधिक उत्तेजना, हिंसा और घृणा के साथ किसी भी तरह से अमीर होने की कोशिश को बढ़ावा…प्रेम और स्नेह भी, परंतु अंधापन भी ।

मानवता का ड्रामाबाजी के तरीकों और एक तरफा नायकवाद, जो यथार्थ के साथ खिलवाड़ है ।

मनोरंजन के नाम पर सामाजिकता को नष्ट करने का प्रयास हुआ और हो रहा है, उपरोक्त स्थितियों के विपरीत कार्य करने लायक कोई नहीं है…

व्यंग और कविता में सामजिकता के प्रति संवेदना और मानवता से लगाव है, परंतु प्रस्तुतकर्ता बचे हैं…?

Friday, January 17, 2025

जेल, मनुष्यता व कोर्ट

 जेल में अभी भी गुनाह की सजा से ज्यादा अवधि काट चुके और बिना गुनाह के अधीसंख्य मनुष्य कैद है। 

स्वत: संज्ञान इस पर कब लिया जाएगा...

भविष्य में स्वतंत्रता मिलने के बाद क्या सामाज और मनुष्यता के प्रति सम्मान रख पायेंगे?

जय हिंद।।

जय भारत।।


महादेव।।। श्रीहरि।।। हरि ॐ।।। श्रीं।।।

Monday, January 13, 2025

जेल तथा मानव कल्याण/अधिकार व कोर्ट

जेल में क्षमता के विपरीत कई गुना ज्यादा मानव कैदी बंद है। जिसमें अति गरीबों की संख्या अत्यधिक है, जिनके परिवार जमानत तक नही ले पा रहे।अमृत काल में माननीय कोर्ट के द्वारा स्वत: संज्ञान ले कर उन गरीबों व अन्य लोगों के लिए आवश्यक कार्यवाही की जानी चाहिए। साथ ही सरकार द्वारा बजट बढ़ाकर जेल की क्षमता और सुविधाओं को बढ़ानी चाहिए। वहां मानव ही कैद है, वे भी स्वतंत्र होकर मतदान में भाग ले सकेंगे।
जय हिंद।।
जय भारत।।

महादेव।।। श्रीहरि।।। हरि ॐ।।। श्रीं।।।

Sunday, December 29, 2024

BPSC छात्र आंदोलन के अहिंसक प्रदर्शन पर जोरदार बारिस कर लाठीचार्ज देखना अत्यंत ही निराशाजनक है

 BPSC छात्र आंदोलन के अहिंसक प्रदर्शन पर जोरदार बारिस कर लाठीचार्ज देखना अत्यंत ही निराशाजनक और स्वतंत्र भारत में अपमानित होना है।

अमृत काल में भी "आवाज दो हम एक है"

 बुलंद किया जाना...कब तक😢

Friday, December 20, 2024

संदर्भ:- राजनैतिक चेहरे

 संदर्भ:- राजनैतिक चेहरे...

रोज रक्तबीज दिख रहे, माता आ जाओ।

आचार्य के कल्कि कब आएगे, आचार्य जी बताओ।।

विशेष:-आज के प्रमुख समझ नही रहे कि उनके तले हर स्थान पर प्रमुख पैदा हो रहे, कोई अंधक बन-कोई जालंधर, आपको ही ललकारेंगे।।।

हे प्रमुख! इतने लाचार हुए की रोके न रुकेंगे, संघर्ष सामाज का विष कौन पिए...

जनसमुदाय मूकदर्शक बने, और बने रहेंगे।।

जागो ग्राहक, जागो ।।।


महादेव।।। श्रीहरि।।। हरि ॐ।।। श्रीं।।।

Friday, September 13, 2024

मानव को ठोक दिया गया, कानून के राज में...

 ... किसी मानव को ठोक दिया गया, कानून के राज में...

शुरू हो गया, आरोप-प्रत्यारोप।

वाह! वाह!


तभी नग्न आंखों से आवाज आया...

कितने भेड़िया है

नही पता हुज़ूर,

भेड़िया ही है या सियार

अभी पता कर रहे है साहब।

अच्छा, ये बताओ कि कितने पकड़ाए,

एक लगड़ा बचा है।।

ओह, कब तक पकड़ा जाएगा,

अभियान चल रहा है हुज़ूर।।।

लोंगो को मारा, कितने को काटा है,

चलो, जल्दी करो-पता करो क्या है...

दरबार खाली, सन्नाटा ही सन्नाटा।


तभी कई आवाजें आए... 

कानून तो खोद देता पाताल तक,

हिंसक पशु न पकड़ाए आज तक,

क्या बहराइच क्या कलकत्ता...

देखो सुल्तानपुर और आसपास।


महादेव।।। श्रीहरि।।। हरि ॐ।।। श्रीं।।।

देख जमाने की यारी, केवल आंसू छोड़ जाएगे।

 विकसित सामाज, विकसित मास्तिकता, विकसित शासन-प्रशासन और कुछ कृत्रिम विकास बचा हो तो सोच ले...देश-दुनिया के लोकतंत्र...

प्राकृतिक और नैसर्गिक विकसित विचारों का स्वागत है:-


अतः कुछ पंक्ति हम सभी गुनगुना सकते है...


जहां खिल रहे कागज़ के फूल, वहां बाहर कब तक...

देख जमाने की यारी, केवल आंसू छोड़ जाएगे।

वक़्त ने किया, क्या हसी सितम,

तुम रहे न तुम, हम रहे न हम।।

जाएगे कहां सुझाता नहीं,

चल पड़े हम, रास्ता नहीं।।

जिस घर मे रख दे कदम, 

उल्टे-सीधे दांव लगाए।।

हस-हस के फेका पासा, 

कैसे तुमको फसाए।।

देख जमाने की यारी,

आंसू लेकर दुनिया से मिले,

भुगते गे, सब बारी-बारी।।


साभार....."कागज के फूल"


महादेव।।। श्रीहरि।।। हरि ॐ।।। श्रीं।।।