Friday, September 13, 2024

मानव को ठोक दिया गया, कानून के राज में...

 ... किसी मानव को ठोक दिया गया, कानून के राज में...

शुरू हो गया, आरोप-प्रत्यारोप।

वाह! वाह!


तभी नग्न आंखों से आवाज आया...

कितने भेड़िया है

नही पता हुज़ूर,

भेड़िया ही है या सियार

अभी पता कर रहे है साहब।

अच्छा, ये बताओ कि कितने पकड़ाए,

एक लगड़ा बचा है।।

ओह, कब तक पकड़ा जाएगा,

अभियान चल रहा है हुज़ूर।।।

लोंगो को मारा, कितने को काटा है,

चलो, जल्दी करो-पता करो क्या है...

दरबार खाली, सन्नाटा ही सन्नाटा।


तभी कई आवाजें आए... 

कानून तो खोद देता पाताल तक,

हिंसक पशु न पकड़ाए आज तक,

क्या बहराइच क्या कलकत्ता...

देखो सुल्तानपुर और आसपास।


महादेव।।। श्रीहरि।।। हरि ॐ।।। श्रीं।।।

देख जमाने की यारी, केवल आंसू छोड़ जाएगे।

 विकसित सामाज, विकसित मास्तिकता, विकसित शासन-प्रशासन और कुछ कृत्रिम विकास बचा हो तो सोच ले...देश-दुनिया के लोकतंत्र...

प्राकृतिक और नैसर्गिक विकसित विचारों का स्वागत है:-


अतः कुछ पंक्ति हम सभी गुनगुना सकते है...


जहां खिल रहे कागज़ के फूल, वहां बाहर कब तक...

देख जमाने की यारी, केवल आंसू छोड़ जाएगे।

वक़्त ने किया, क्या हसी सितम,

तुम रहे न तुम, हम रहे न हम।।

जाएगे कहां सुझाता नहीं,

चल पड़े हम, रास्ता नहीं।।

जिस घर मे रख दे कदम, 

उल्टे-सीधे दांव लगाए।।

हस-हस के फेका पासा, 

कैसे तुमको फसाए।।

देख जमाने की यारी,

आंसू लेकर दुनिया से मिले,

भुगते गे, सब बारी-बारी।।


साभार....."कागज के फूल"


महादेव।।। श्रीहरि।।। हरि ॐ।।। श्रीं।।।

घात लगाए ये हिंसक मस्तिक, सुकून मस्तिक के खोज में,

 घात लगाए ये हिंसक मस्तिक, सुकून मस्तिक के खोज में,

समय की कमी, देखो कहा लेकर जाएगा।


पुनः लौट आए वह जीवनसार, सारे बैठते एक-दूसरे के द्वार,

जहां कोई समय न पूछता, बस पहर की चर्चा करता।।


चर्चा में ख्याल-खातिर और खेत-खलिहान रहता,

प्रकृति के संग रहता, प्रकृति के संग चलता।।।


"आवश्यकता आविष्कार की जननी है"

समय की गणना और उसका पालन, बस यही अनुशासन हैं..?


विकसित औऱ सभ्य सामाज बनता गया, मनुष्य में संग्रहण व मोह आदि के भूख बढ़ते गये।

जहां भूख नहीं होती वहां भय-मुक्त वातावरण का निर्माण होता है और हिंसा का स्थान नही होता।


"आवश्यकता अविष्कार की जननी है"


परंतु मनुष्य की आवश्यकता संग्रहण ही रह गया, और संग्रहित के प्रति अथाह मोह। लगभग सरी रोगों का कारक। जिसकी दवा मृत्यु तक खाने को मजबूर।।


इसी मोहग्रसता के प्रतिस्पर्धा में समाज दिन दूनी-रात चौगुनी  विकसित हो रहा, और उसी अनुपात में प्राकृतिक, कृत्रिम एवं सामाजिक व सरकारी संगठित हिंसा भी बढ़ रहा।


चारों तरफ हिंसक मस्तिक घूम रहे हैं...


पुनः वापसी असंभव है, क्योंकि ये नियम-कानून, स्वेच्छा अनुसार पारिवारिक संस्कार, और आतंकित करने वाली नव-सामंतीवाद व लोकतांत्रिक राजा, उनके स्वार्थी तंत्र-अनुयायी।


पूर्वजों का कुछ मान रखे, जिसे वर्तमान एवं आने वाली पीढ़ी भी समझ सके।

महादेव।।। श्रीहरि।।। हरि ॐ।।। श्रीं।।।

Thursday, August 27, 2015

सामाजिक बुराइयो को कम करने में शहरीकरण भी एक मुख्य वजह हो सकता है।

सामाजिक बुराइयो को कम करने में शहरीकरण भी एक मुख्य वजह हो सकता है। 
जिसका सबसे त्वरित परिणाम अन्य तरीको से ज्यादा है। 
गाँव की गवई राजनीति व गाँव में रहकर नहीं किया जा सकता। 
खासकर उत्तर प्रदेश व बिहार जैसे समाज में। यह हम सोचते है। अनुभव और दूरदृष्टि का आंकलन है।

Friday, August 14, 2015

स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाए ! कर्मो का पाप समझू या अधिकारो का शोषण या भाग्य विधाताओ का पोषण...

स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाए !
18-25 आयु वर्ग के लगभग 37% लोंग 15 अगस्त और 26 जनवरी के सन्दर्भ मे अनभिज्ञता जताये !
हमारा देश सब अशाध्यो के साथ भी महान है क्योकि जहा कोस कोस पर पानी और ...कोस पर वाणी बदलता हो, जहा का समाज दुनिया के सभी विचारो को समावेश किए चल रहा हो. जहा तीन रंगो के साथ चक्र है, जो देश 20% उच्च मध्यवर्गीय समाज के अकंक्षाओ को पूरा करने मे विषमताओ के साथ निर्वाहन कर रहा हो, ऎसी बात और कहा...!
दूसरी ओर आज भी टकटकी लगाये कर्तव्यनिष्ठा के लिए तत्पर अधिसंख्य  जनता खुद के अधिकारो से वंचित और अनभिज्ञ है, उन्हे इस ओर जगरूक करना वर्तमान मे और भी जरूरी है, क्योकि आज स्वतंत्रता दिवस है, इसलिए जगरूक है हम तो अपना कर्तव्य केवल लिखकर या बोल कर पूर्ण न समझे, उनके लिए भी तैयार करे जिससे कर्तव्य और जिम्मेदारी निभाने लगे, लायक तो हम भी है ही...
जय हिन्द - जय भारत !
पर मित्रो आज कल वाराणसी मे बिजली कटौती और असहनीय गर्मी से त्रस्त हू, रात के सोने के समय सारणी को निभाना दुश्वार हो गया है. कर्मो का पाप समझू या अधिकारो का शोषण या भाग्य विधाताओ का पोषण...महात्मा गान्धी की जय ! बाबा साहब अम्बेडकर की जय ! शहीदे आज़म भगत सिह जी और नेता जी अमर रहे ...

Friday, January 9, 2015

महामना "भारत रत्न" के स्थापित कैम्पस मे संचालित अस्पताल की कहानी - मछली"काँटा" और BHU में तीन एक्स-रे।

मछली"काँटा" और बीएचयू में तीन एक्स-रे।
कल गज़ब हो गया।उसके बाद अजब की कहानी।12 बजे के आस पास गला मे मछली के काँटा फंस गया।गोया पहले राजकीय अस्पताल गया।वहा डाक्टर साहब निराकरण नहीं कर दुसरे राजकीय में जाने का एडवाइस पर्चा पर दिए।उसके बाद बिना हीले डूले मुख से पूर्ण विश्वास के साथ विश्व प्रसिद्ध बीएचयू स्थित अस्पताल जाने की सलाह डॉक्टर
साहब ने डे डाला।अथाह विश्वास और आस्था के साथ वहा रात में ही पहुँचा।सब सही, डाक्टर साहब की लिखी पर्चा से गला में फंसा काँटा के लिए सीना से लेकर गला तक तीन एक्स-रे करवा लिया गया और पाकेट ढीली।तब तक 3 बज चुके थे।जब समय निराकरण करने को आयी तो डाक्टर द्वारा सहायक को फोन पर 6 बजे सुबह आने को कह कर मरीज को समझाने की सलाह दी गयी।अब मरता क्या करता...आप बताओ। सहायक की रवैया"तुम-ताम"का सम्बोधन तथा जबरदस्ती दबंगई से समझाने की असंतोषजनक व्यवहार मरीज के साथ किया जाने लगा।मरीज चकराया हुआ बिन पर्चा जाने लगा।बुला कर साथी को पर्चा दिया।वहा खड़े अन्य मरीज के साथियो ने भी मरीज को ही रुक जाने का ही सलाह दिया।वाह बीएचयू,जहा से पढ़ाई कर और कभी भी जाने पर गर्व करने की इच्छा को ही कुचल डाला।सुनते थे औरो से तुमने प्रत्यक्ष अनुभव भी करा दिया.....धन्य हो।

Friday, August 29, 2014

हम उस प्रभु के सेवक है जिसे आज के विद्वान लोंगा मनुष्य कहते है।

हम उस प्रभु के सेवक है जिसे आज के विद्वान लोंगा मनुष्य कहते है।