संदर्भ:- राजनैतिक चेहरे...
रोज रक्तबीज दिख रहे, माता आ जाओ।
आचार्य के कल्कि कब आएगे, आचार्य जी बताओ।।
विशेष:-आज के प्रमुख समझ नही रहे कि उनके तले हर स्थान पर प्रमुख पैदा हो रहे, कोई अंधक बन-कोई जालंधर, आपको ही ललकारेंगे।।।
हे प्रमुख! इतने लाचार हुए की रोके न रुकेंगे, संघर्ष सामाज का विष कौन पिए...
जनसमुदाय मूकदर्शक बने, और बने रहेंगे।।
जागो ग्राहक, जागो ।।।
महादेव।।। श्रीहरि।।। हरि ॐ।।। श्रीं।।।
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