Friday, May 2, 2014

हो रहा भारत निर्माण ......................

देख मेरे संसार कि हालात कैसी हो गयी भाई......,
जब दिल्ली कि जनता ने किसी को बहुमत प्रदान नही करा सकी तब बहुत ही अफसोस हुआ ! मगर कही ज्यादा खुशी और उल्लास मिली कि जमीन से उठा और सभी तथाकथित व्य्वस्थाओ तथा कई तरह के भ्रमित करने वाली विचारो को धत्ता बताते हुए आप ने सरकार बनायी ! सोच कर ही मन प्रसन्नचित और रोमांचित होता था, नई जोश और तरंग पुरे देश मे चलने लगी ! नया समाज और वयक्तित्व सा महसूस होने लगा ! पर हुआ क्या......,
अब तक के आप का निर्यण सभी कि आशाओ को कूचल कर उस राह पर चल दिये, जहा सपनो का मर जाना तय है ! अस्तित्व भी खतरे मे और आश तो पूरी तरह टूटा हुआ ! आप एक उदाहरण बने लेकिन आयुष कि कोई गारंटी भी नही रही ! "अब फिर कभी अखरा मे डाल संजायेगे, अभी बचे  है शेष प्राण खोखली काया (जन) मे" ! मकड्जाल मे फंस कर आप भी वही रह गये और फंस फंसा के चल रहे है !
अब न कोई तीर पार लगा सकता है और न कमान ! बिन कमान के तीर पडे- पडे आप को जोश दे रहा, क्या आप मे वह आत्मविश्वास बचा है ! 

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