Friday, May 9, 2014

संघर्ष और शांति ही जीवन है

संघर्ष और शांति ही जीवन है

सभी बातो का खात्मा केवल सामंतवाद, आतंकवाद, अलगावबाद...वाद...वाद..के खात्मा से है. जो नये रूपे मे नये चोंगा लिए समाज मे पैठ बनायी है और नित्य रोज मच्छरो कि तरह बढ रही है. अन्य लोंग को कौआ समाज और संस्कृति जैसा जीवन जीने को मजबूर !

संघर्ष और शांति ही जीवन है, ..........संस्थानो के बिना लोकतंत्र नही, विचारधाराओ से कुछ मिला नही, केवल ज्ञान के लिए सही है, जीने के लिए नही ! संघर्ष करने के बाद शांति मिलती है, मेहनत के बाद नेकी, बिना कर्म किये बोझ डालकर या डलवाकर, थोप कर नेकी करना, नाम कमाना, और पहचान बनाना अच्छा है लेकिन सार्थक नही !

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