मानवाधिकार कार्यकर्ता कि काली करतूत पढे -
" भाई (सबरजीत) की रिहाई को मांगे थे 25 करोड"
शहीद सबरजीत सिह की बहन दलबीर कौर ने गुरूवार को दिल्ली मे यह भी दावा किया कि मानवाधिकार कार्यकर्ता ने उनके भाई की रिहाई के लिए 25 करोड रूपये की मांग की थी ! यदि रूपये दे दिये होते तो मेरा भाई आज जिन्दा होता !
जिस आत्मविश्वास से बहन कही, उससे तो यही लगता है कि साठ - गांठ कितना मजबूत होता है सत्ता और मानवाधिकार कार्यकर्ता का, अगर साठ - गांठ नही है तो भी क्या यह मांग वाजिब है !
इसे कहते है "play with emotion & earn money from survivors," make a platform for interest of conflict. सही है गुरू, लगे रहे और मनाते रहे कि मुद्दा और मुल्ला किसी मे से एक जबर्दस्त मिले ! भूनते रहो - खाते रहो, और कहो समाज उद्धारक है! क्या लगता है आपको...
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