Saturday, May 4, 2013

तीसरी मोर्चा से एक - दो कशमकश व पेशोपेश मे, अगर इस बार नही तिसरी तो कभी नही !

तीसरी मोर्चा से एक - दो कशमकश व पेशोपेश मे, अगर इस बार नही तिसरी तो कभी नही !
 तिसरी मोर्चा का आना मतलब एक अच्छी व महत्वपूर्ण बात यह होंगी कि चौथी मोर्चा को सबल मिलेंगा और हो सके तो सफल मोर्चा बनाने कि तरीका और शक्ति ! फिर बारी आयेंगी पाचवी मोर्चा का, जो चौथी से भगा दिये जायेंगे, अगर नही भगाया गया तब चौथी मुह ताकते रहे और फिर पहली और दूसरी स्वत: खडा, इसलिए चौथी कि लडाई व अगुवाई खुद का हो, जिससे सीना तान गर्व से कहे जय हो !
 अब पाचवी का क्या होंगा जो हर जगह केवल अपना स्वार्थ, मुद्दा और हित - विवाद से जीवन जिये है, यह नही आये तो बेहतर, इससे अच्छा उपर के चारो है व होंगे, चाहे जैसे हो, नही तो तानाशाही, अराजकता तथा पूर्ण सामंती और पुरूषवादी व्यवस्था का जन्म होंगा, जिसकी नमूना असंगठित लोंग झेलते और अपने साथियो को भुगतते देखते है !
 अगर पाचवी आया तब कलयुग कि परकाष्टा होंगी और उसके बाद हो सके तो मानव इतिहास मे फिर सतयुग जैसा समाज हो और एक राजा ! लेकिन तंत्रो मे लोकतंत्र बेहतर जो चौथी मोर्चा के बाद कि सतत मानव विकास के बाद अमेरिकी क्रांति जैसी स्वतंत्र, विकसमुखी और समानता, भाईचारा - लगभग जैसा समाज हो ! जो पूंजीवादी के साथ समाजवादी और मानववादी के आधार लिये होंगा ! सपना काश हो अपना ! - एक विचार आज कि परिदृश्य को देखते हुए ! 

---"अमित अविनाशी"

No comments: