पंथ संघर्ष के इस दौर में होना यह चाहिए की पहले सनातन कि उचित और सही तथ्यों व विचारों से समाज में सही व्याख्या को प्रस्तुत किया जाए। तब अपने आप वर्तमान संघर्ष साकारात्मक रूप में स्थिर होंगा। क्योकि पन्थाचार्यो का योगदान स्वामी विवेकानंद जी के बाद सनातन हेतु नागान्य ही समझे। जितनी मुह उतनी हठ और वैसा ही बजरामूठ की तरह पकडे हुए अनुयायी और अगुआ। हमे बताये वाह जी वाह।।
समाज के अगुओ को फोकस इन सभी कि ओर होनी चाहिए।
समाज के अगुओ को फोकस इन सभी कि ओर होनी चाहिए।
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