सभी कहते कि वोट जात-पात, धर्म - विरादरी,
क्षेत्र व परिवार - सम्बन्ध आदि अन्य स्वार्थ जनित बातो से उपर उठ कर दो.
उन कहने वालो से तथा समाज मे सामाजिक काम करने वालो से पूछे कि वे किस आधार
पर अपना मत देते है और उन राजनितिक पार्टियो से क्या उपरोक्त स्वार्थ से
उपर उठे पाते है ! जब वे स्वार्थ पूर्ति के लिए व समाजिक, बुद्धिजीवि तथा
तथाकथित एडवांस लोंग जो उदाहरण है और जैसा उदाहरण पेश करते है ! मुझे समझ
मे आता है कि छोड दिया जाए लोंगो पर ,
धीरे धीरे परिवर्तन हो रहा है ! वैसे भी समाजिक मठधीश कहते .....कम, हिलाओ
ज्यादा - जब विजिटर या दान दाता सामने हो ! अगर यह गुण नही तो निरा मूर्ख
हो तुम, काम चोर और बैल हो ! वाह रे जमाना क्या चल रही है अपनी चाल !
प्रकृत सक्षम है, स्वभाव और सम्बनध तथा विचार क्रियाशील है ! समाजिक,
बुद्धिजीवि तथा तथाकथित एडवांस क्षणभंगुर है, अनुभव करे !
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