भारत मे ब्रिटिश
साम्राज्यवाद का कठोरतम मुकाबला !
Toughest
resistance of British imperialism in India.
किसी भी देश के संविधान
का भली प्रकार ज्ञान प्राप्त करने के लिए उसके विकाश के लिए इतिहास को जानना बहुत
ही आवश्यक है क्योकि प्रत्येक संविधान की जडे उसके अतीत मे छिपी रहती है ! यदि हम
भारत के संविधान का पूरी तरह ज्ञान प्राप्त करना चाहते है, तो हमे भारत के इतिहास
की तरफ अपनी दृष्टि दौडानी पडेंगी कि किस तरह उन्होने सत्ता यहा स्थापित की, जिसके
विरूध्द भारतीयो ने स्वतंत्रा – आनदोलन किए !
यहा हम केवल
अंग्रेजो द्वारा तत्कालिन कथन और दुनिया के गैर – भारतीयो द्वारा उल्लेखन का वर्णन
है, जो “अन्धेरो मे छलांग” की उपज – हिटलर कि तानाशाही को सबसे बडा
मानवता पर कलंक को धूमिल कर उजालो मे छलांग के व्यपारियो “ब्रिटिश हकूमत कि
कठोरतम साम्राज्यवादी नीति क्यो नही ? .....
इसका कारण समझ मे यही
आती है कि कमजोर देश के हिट्लर ने आज के सबसे धनी और ताकतवर समूह के खिलाफ तांडव
किया, दूसरी तरफ इसका उल्टा मजबूत देश ने कमजोर व अश्वेत पर कहर बरपाया ! इसलिए इतिहास
ने इसे लगभग माफ कर दिया या करने वाला है !
अध्याय शुरू करने से
पहले यह चाह लाज़मि है कि सदभावना और समभाव के लिए स्वतंत्रता आन्दोलनकारियो
को इसी बहाने नमन कर ले :- कुछ उल्लेख
1.
भारतीय इतिहास मे क्रांतिकारियो,
आन्दोलनकारियो के त्याग और बलिदान अनुपम है, परंतु जन-जागरण किए बिना, केवल सेना
मे विद्रोह के भरोसे स्वतंत्रता प्राप्त नही हो सकती थी !
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक हमेशा कहा करते थे कि यदि स्वराज्य शिवा जी के समय
सम्भव था तो आजकल क्यो नही ? वे प्रथम भारतीय थे जिन्होने देश को यह नारा दिया
कि “ स्वातंत्रता हमारा जन्म सिद्धाधिकार है, इसे हम लेकर रहेंगे ! उन्होने इस
हेतु अनेक भाषण दिए, जिसके कारण इन्हे गिरफ्तार कर लिया गया !
देश के विद्वान वकिल मो0 अली जिन्ना जी ने उनके केस की वकालत बडे अच्छे ढंग से
की ! फिर भी अंग्रेजो ने तानाशाही का परिचय देते हुए उन्हे रंगून जेल मे कैद कर
दिया गया ! जहा काली कोठरी मे मोटे – मोटे मच्छर थे, लेकिन तिलक जी ने वहा भी ‘गीता
– रहस्य’ नामक अद्वितीय पुस्तक लिखी !
प्रथम विश्व युध्द के समय जब अंग्रेजो को भारतीय सैनिक सहयोग कि जरूरत हुयी तब
उन्हे रिहा किया गया ! अंग्रेजी हकूमत से असहयोग कि रवैया अपनाने वाले तिलक जी ने
बम्बई के राज्यपाल द्वारा बुलाई गयी बैठक से बार – बार टोके जाने के कारण वाकआउट
कर दिये !
इसके पश्चात उन्होने लखनऊ पैक्ट -1916 मे किया, जिसके कारण कांग्रेस
तथा मुस्लिम लीग साथ भाग लिये ! मौलान शौकत अली और मुहम्मद अली जी भी उन्हे कभी
मुसलमानो के विरूध्द नही समझते थे !
पहली अगस्त, 1920 ई0 मे तिलक जी स्वर्ग सिधार गए ! गान्धी
जी ने उन्हे कन्धा दिया !
2.
महात्मा गान्धी बहुत गतिशील नेता थे ! उन्होने तिलक जी से संकेत पाकर काफी
जन-जागरण किये और 1920 मे चलायी गयी खिलाफत और असहयोग आन्दोलन को सफल बनाये
! सत्याग्रह और अहिंसा का पहली बार राजनीतिक क्षेत्र मे प्रयोग किया !
स्वय इन्दिरा जी ने लिखा है कि सत्याग्रह तथा अहिंसा इस देश मे उतनी ही पुरानी है, जितनी कि
पहाडिया, परंतु इनका प्रयोग सदा धार्मिक क्षेत्र मे होता था ! गान्धी जी पहले
राजनीतिक नेता थे जिन्होने इनका प्रयोग राजनीतिक क्षेत्र मे किया !
वही पूर्व प्रधानमंत्री श्री पी0वी0 नरसिह राव ने 12 जून, 1995 ई0 मे महात्मा गान्धी की 125 वर्षगाठ के
अवसर पर यूनेस्को को सम्बोधित करते हुए इस तथ्य को दोहराया - “हमे यह कादापि नही भूलना चाहिए कि अंग्रेज
दो विश्व युद्धो के विजेता थे ! उन्होने जर्मनी के शासको को दो विश्व युध्दो मे
हरा दिया था ! जन – जागरण, अहिंसा तथा सत्याग्रह के बिना उन्हे नही भगाया जा सकता
था !”
अप्रैल, 1995 ई0 मे ईरान के राष्ट्रपति भारत आए ! उन्होने भारत की धर्म
निरपेक्षता के बारे मे जो कहा, उसे हमे कदापि नही भूलना चाहिए !