Wednesday, February 2, 2011

पुलिसिया यातना की शिकार की ख़ुदबयानी,

पुलिसिया यातना की शिकार की ख़ुदबयानी


पुलिसिया यातना की शिकार की ख़ुदबयानी
समय Feb 02, 2011 |
लेनिन रघुवंशी
मेरा नाम रीना (बदला हुआ नाम), पत्नी श्री विनोद कुमार गुप्ता, मकान नं0-137, मोहल्ला-सिपाह, थाना-कोतवाली, जौनपुर की निवासनी हूँ। मेरे पति शादी के पहले से ही ड्राइवरी का काम करते हैं। 24 जनवरी को लगभग 4.30 से 5.00 बजे भोर में पुलिस आयी और मेरे पति विनोद को ले गयी। उस वक्त में अपने बेटे को गोद में ली थी और वो अपने पापा को बुला रहा था। उस समय मुझे लगा कि हमारे ऊपर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है, मुझे कोई रास्ता नही सुझ रहा था कि क्या करें। मैं रोने-पीटने लगी। मैने यह सोचा कि पुलिस घटना की पुछ-ताछ करके छोड़ देगी। लेकिन पति के वापस न आने के बाद मेरा और मेरी अम्मा (सास) की हालत खराब हो गयी। मेरे अम्मा जी तो बार-बार बेहोश हो जा रही थी। दोपहर में आस-पड़ोस के लोग इकठ्ठा हुए और सात्वना दी और कह कि इतना सीधा लड़का कहा फँस गया और उन लोगो ने सलाह दी कि सेठ जी से बात करने पर शायद सब ठीक हो जाये। मेरी अम्मा इसी आस में सेठ जी के घर जाकर उनके हाथ जोडे़ और पैर भी छुए, सेठ ने कहा कि अब आप लोग राम-राम करें।

वापस फिर 12 फरवरी, 2010 को 10 बजे रात सेठ SOG को लेकर हमारे घर पर आये और घर में रखे तीन मोबाइल को अपने कब्जे में ले लिया। पुलिस ने हमारे कमरे के पूरे समान को चेक किया। मैने एक छोटे से पर्स में पायल और लगभग 3000 से 4000 रुपये बचाकर रखे थे। उनके जाने के बाद सुबह मैने पर्स देखा तो पर्स में सिर्फ पायल मिला और मेरे पापा ससुर और पति को ले गये।

10 मिनट बाद दोबारा फिर आये ‘‘यह बात बताने में कांप जा रही हूँ। उस समय मैं घर में बिल्कुल अकेली थी। मेरी अम्मा और देवर, बड़े पापा (मेरे ससुर के भाई) को घटना की जानकारी और बुलाने गयी थी। उस समय मुझे अकेला देखकर एक पुलिस वाला मेरे साथ बदतमीजी करने लगा और मुझे गन्दी-गन्दी गाली देने लगा। जब वह मेरा पास आया तो उसके मुँह से शराब की बदबू आ रही थी।

मार के डर से मेरे पति ने कहा कि उसने रिवॉल्वर घर में एक अमरूद के पेड़ के नीचे छिपाया है। वापस पुलिस मेरे पति को लेकर रिवाल्वर खोजने के लिए खुदाई शुरू की। उसी बीच फिर वही खड़ा एक पुलिस वाला मेरे पास आकर फिर से बदतमीजी करने लगा और मेरी अम्मा से बार-बार कहने लगा कि तुम्हे टॉयलेट जाना है तो जाओ। वह मेरी सास को बहुत गाली दिये और लगातार जूते की नोंक से चार-पाँच बार मारे। मुझे गाली देकर कहा कि ‘‘तुम्हे यही मिला था शादी करने के लिए’’ और मेरी अम्मा से पुछा कि कहां से लायी है इसे। सरायमीर का नाम सुनते कि उसने मेरी इज्जत को तार-तार करते हुए कहा कि इसके ऊपर न जाने कितने मुसलमान चढ़े होगे।

इसके बाद उन लोगो ने मेरी अम्मा को भी अपमानित किया ‘इतना बदमाश लड़का पैदा करने के लिए तु तो चार-पाँच लोगो के पास तो गयी होगी। यह भी कहा कि तुम्हारे गुप्तांग में ऐसा मारेगे कि तुम्हारी बच्चेदानी बाहर आ जायेगी। इतना कहते हुए उन लोगो ने हमारी साड़ी खीचने की कोशिश की। प्रतिरोध करने पर उन लोगों ने हमारी अम्मा को वापस जूते की नोंक से मारा और धमकी दी कि तुम्हारे खानदान में किसी को नही छोड़ूंगा। सबको बेइज्जत करूँगा।
मेरे पति के सामने कहा कि तुम्हारी बीवी को यही तुम्हारे सामने सुलाकर शारीरिक सम्बन्ध बनाऊँगा। उस समय मुझे लगा कि अपनी इज्जत बचाने के लिए कहा भागे, कोई रास्ता सुझ नही रहा था। इस बात को याद कर अभी भी डर लगता है और खुद से शार्म महसूस होती हैं। उन लोगों ने मेरे पति को बच्चे की कसम दिलायी कि मेरे घर में कुछ नहीं है और फिर मेरे पति को कमरे में ले जाकर बेड पर सुलाकर सीने पर बहुत मारा, मार की आवाज बाहर तक आ रही थी। वे लोग मेरी अम्मा और देवर को ले जा रहे थे, मुझे भी चलने को कहॉ, मैने कहा कि मेरा बच्चा सो रहा है तो उन लोगो में मुझे छोड़ दिया।

मेरा एक बच्चा तीन साल का है और दूसरा अभी गर्भ में है। अभी यही चिन्ता रहती है गुजारा कैसे होगा, 18 फरवरी को पुलिस ने मेरे पति को छोड़ दिया। हम लोग को यह डर है कि सेठ फिर से हमारे घर न आये और दोबारा इस तरह से गाली-गलौज और मार न सहना पड़े। अभी खाने पीने में बिल्कुल मन नही करता है। अभी घर में कोई काम काम करने वाला नही है। इस घटना के बाद देवर और ससूर का काम भी छुट गया है।

डर के कारण मेरे परिवार के सभी सदस्य एक ही जगह सोते हैं। मेरे पति इतने डरे हुए हैं कि टायलेट भी अकेले नहीं जाते हैं। मेरे पति और अम्मा को रात में नींद नहीं आती है, आती भी है तो नींद में ही अम्माँ-अम्माँ चिल्लाने लगते है। पुलिस मेरे पति को लेकर मेरे बहन के घर आजमगढ़ गयी और मेरे पति से बोला कि तुम भागो, तुम्हारा इनकाउन्टर कर देगे।

पुलिस इनको लेकर मेरे मामा, भाभी और सभी रिश्‍तेदारों के यहां लेकर गयी और उन्हें धमकाया भी। अभी यह लगता है कि न्याय मिल जाये और वापस हम लोग खुशी से अपना जीवन व्यतीत कर सकें। इस घटना के बारे में बताकर अन्दर से काफी हल्का महसूस कर रहे हैं। अपनी व्यथा आप लोगों से बांट कर थोड़ा अच्छा लग रहा है।

रेणू और शबाना से बातचीत पर आधारित

डॉ0 लेनिन रघुवंशी 'मानवाधिकार जन निगरानी समिति' के महासचिव हैं और वंचितों के अधिकारों पर इनके कामों के लिये इन्‍हें 'वाइमर ह्युमन राइट्स अवॉर्ड', जर्मनी एवं 'ग्वांजू ह्युमन राइट्स अवॉर्ड', दक्षिण कोरिया से नवाज़ा गया है. लेनिन सरोकार के लिए मानवाधिकार रिपोर्टिंग करेंगे, ऐसा उन्‍होंने वायदा किया है. उनसे pvchr.india@gmail.com पर संपर्क साधा जा सकता है.

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