मूल अधिकार या गैर - मूल अधिकार कानूनो और व्यवस्थाओ द्वारा कभी भी प्राप्त
नही किया जा सकता, समाजिक संवेदना, सामंजस्य, समरसता, संबन्ध के द्वारा ही
अधिकारो को भोगा जा सकता है !
यही एक रस्ता है !
भ्रष्टाचार इस कदर व्यवहार से होते हुए व्यवस्थाओ मे बैठ चुकी है कि इसे खत्म करने के लिए कोई मैकेनिज्म कम से कम भारत मे नही है ! हमारे विचार से केवल यह कम हो सकती है तो अपने व्यवहार मे परिवर्तन कर और प्रोटोकाल कि जरूरतो को जितना हो सके कम अपना कर!
7 billions actions, amplify the voice of victims. Globalization effected aspect & whole perception of human being. Capitalized psyche take no notice of kindness of about population, socialization and socialism insignificant before it. We inhabitants of earth form a raised area to delight of sociable base civilization - atmosphere.