Tuesday, September 4, 2012

बिचौलियो की मुनाफाखोरी से बचो समाज !

बिचौलियो की मुनाफाखोरी से बचो समाज !
अगुवाओ, महात्माओ, धर्मगुरूओ, वे जो आपके जमात का लाभ उठाया के प्रति आकर्षण रखो, उनके जीवन - प्रणाली, जीवन चर्या को देखकर ! " कर्म करो और खुद बनो, देव से खुद करो मंत्रणा, किसी बिचौलियो की जरूरत नही ! क्योकि हर स्तर और सेक्टर के बिचौलियो ने वैभवता कमाया और वैनमस्यता दिया - जो आपको मिला किनारा के साथ !
आप भी हो सकते हो खुदा का खुद, बचो उनके मुख के वाणी से जो उगलता...
है अध्यात्म और नैतिकता, लेकिन वह खुद है भौतिकता का आदि !
यहा एक ओर महान ईश्वर भक्त हुए है, उसमे से भी लोंगो ने आडम्बरित किया और भक्त और भक्ति तथा देव और चढावा के बीच खडा है ! वही दुसरी ओर वे महान लोंग भी हुए जो ईश्वर को स्वीकार नही कर सके, लेकिन यहा भी पहले वाली पंथ की जैसी स्थिति हो गयी !
ठीक उसी प्रकार समाज के हर स्तर - हर रास्ता, हर कर्म / काम - हर उद्देश्य, हर जगह - हर सेक्टर मे बिचौलिया का ऎसा जमात खडा हो रहा है, जो लाइलाज बिमारी से भी घातक है, अनुभव तो होगा - समाज !
अगर हम शरीर को समझे और अध्यात्मिक विश्लेषण पर पहुचे तब मुख - ब्रह्मण, भुजाए - क्षत्रिय, पेट - वैश्य, पैर - शुद्र ! क्या गलत है इसमे, लोंगो ने इसे एक जामा पहनाया और थोपा समाज इसे वहन करने लगा ! पर आज भी आधुनिक समाज के लोंग अपने विचार से इसके नाकारात्मकता को दूर करने की कोशिश कर रहे है, पर दूर हो नही रहा ! ठीक आज की हमारी वयवस्था उसी प्रकार का हू-ब-हू सांकेतिक है - पैर - कामगार, जिस पर शरीर - समाज टीका, पेट - मुनाफाखोरी, कालाबजारी, घोटाला, बिचौलिया, धन संग्रह, जो उर्जावान है और शरीर - समाज के जीवन रक्षक व भक्षक, भुजाए - पुलिस - प्रशासन, कानून व रीति - रिवाज़ो का संचालक, यानि समाज और शरीर को सुरक्षा और असुरक्षित करना, अब सबसे उपर का भाग सर का भाग, मुख - कंट्रोल पुरा शरीर का, समाज का, ज़ुबा पर ही विचारधारा का मार होता है, पंडित्य उजागर होता है, नीति बनायी जाती है, जिस पर पूरा का पूरा वयवस्था टेका है, है न वही अवस्था हर स्तर का जिसका शिक्षा दिया जाता है, अब सोचे की आज भी ठीक उसी वयवस्था के मारा है समाज ! समझने और समझाने की फेर है !
इसलिए स्वय समझे, पहल करे, गुणे और लागू करे, धीरे - धीरे धोखे-बाहुबलो पर बने कमर के उपर के हिस्से / प्रतिको को एहशास कराओ, अब नही, अब वही होगा जो समाज के कामगार कहेंगे, वही ऊपरी हिस्सा बन पायेगा जो योग्य होगा !
समय भी नजदीक है - दिखा दो और मौका दो - एक बार तो कम से कम, आगे का रास्ता खुद तय होगा !
शुभ आकान्क्षा !

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